मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

जो मरीज Physiotherapy Treatment Protocol का सम्मान नहीं करते — उनके लिए सच्चाई जानना ज़रूरी है

“जो मरीज Physiotherapy Treatment Protocol का सम्मान नहीं करते — उनके लिए सच्चाई जानना ज़रूरी है”

      कई बार मरीज यह सोच लेते हैं कि Physiotherapy का मतलब बस कुछ exercises करना या दर्द कम करने के लिए कुछ मशीनें लगवाना है। लेकिन असलियत इससे कहीं गहरी होती है। Physiotherapy केवल दर्द मिटाने की तकनीक नहीं, बल्कि शरीर की कार्यक्षमता (Function), संतुलन (Balance) और Recovery को वैज्ञानिक तरीके से वापस लाने की एक प्रक्रिया है — और यह प्रक्रिया तभी सफल होती है जब मरीज उस Treatment Protocol का पूरी तरह पालन करे, जिसका निर्धारण Physiotherapist ने किया है।

     जब कोई Physiotherapist किसी मरीज के लिए Protocol बनाता है — तो वह कोई सामान्य या रूटीन chart नहीं होता। यह पूरी तरह से मरीज की condition, muscle strength, pain level, posture, nerve involvement और recovery potential को ध्यान में रखकर तैयार किया गया होता है। मतलब यह एक tailor-made treatment होता है, जो हर व्यक्ति के लिए अलग होता है।

       लेकिन समस्या तब शुरू होती है जब मरीज इस protocol का सम्मान नहीं करता। कभी वो अपनी मर्ज़ी से exercises बदल देता है, कभी sessions छोड़ देता है, कभी घर पर follow-up नहीं करता। और जब recovery में देरी होती है, तो blame physiotherapist पर डाल देता है। असल में, physiotherapy तभी असर दिखाती है जब patient और physiotherapist दोनों एक टीम की तरह काम करें। अगर मरीज के अंदर discipline नहीं है, तो कोई भी physiotherapist दुनिया का सबसे अच्छा protocol बना ले — परिणाम अधूरे रहेंगे।

💬 सोचिए — अगर डॉक्टर ने आपको दवा 7 दिन तक लेने को कहा और आपने 3 दिन में ही बंद कर दी, तो क्या पूरा फायदा होगा?
बिलकुल नहीं।
ठीक इसी तरह Physiotherapy भी step-by-step healing science है। इसमें consistency और trust सबसे ज़रूरी हैं। हर session पिछले session पर आधारित होता है।

कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं जो 2–3 दिन में ही कहते हैं —
 “अभी तक फर्क नहीं पड़ा!”
उन्हें यह समझना चाहिए कि शरीर mechanical part नहीं है कि तुरंत बदल जाएगा। Muscles को strengthen होने में समय लगता है, joints को mobility पाने में patience चाहिए, nerves को regenerate होने में हफ्ते लगते हैं। और यह सब तभी संभव है जब मरीज Physiotherapist द्वारा बनाए गए treatment protocol को पूरे सम्मान के साथ follow करे।

     कई बार Physiotherapists को भी कठिन निर्णय लेना पड़ता है —
अगर कोई मरीज बार-बार protocol तोड़ता है, exercises को हल्के में लेता है, या बार-बार excuses देता है, तो physiotherapist के लिए भी effective result लाना लगभग असंभव हो जाता है। क्योंकि physiotherapy एक partnership है — physiotherapist guide करता है, लेकिन healing मरीज के सहयोग से ही होती है।

👉 मरीज के लिए समझने योग्य कुछ सच्चाइयाँ:

1. Physiotherapist कोई “pain killer” नहीं देता — वह आपके शरीर को खुद healing सिखाता है।

2. Recovery का कोई shortcut नहीं होता।

3. Protocol तोड़ना मतलब अपने ही treatment को कमजोर करना।

4. हर exercise का scientific reason होता है — इसे मर्ज़ी से बदलना self-harm है।

5. Physiotherapy का success rate 100% discipline पर निर्भर करता है, न कि मशीनों या sessions की संख्या पर।

अक्सर कहा जाता है —

 “Patient की healing उसकी willpower और Physiotherapist की skillpower दोनों पर टिकी होती है”

अगर आप physiotherapy को एक science की तरह अपनाते हैं, तो यह आपके शरीर को नए जीवन की तरह पुनर्जीवित कर सकती है। लेकिन अगर आप इसे हल्के में लेते हैं, protocol को तोड़ते हैं, या physiotherapist की सलाह को अनसुना करते हैं, तो नतीजा केवल frustration और incomplete recovery ही होगा।

इसलिए याद रखिए —
Physiotherapist का protocol कोई restriction नहीं, बल्कि आपकी recovery की roadmap है। उसका सम्मान कीजिए, उसका पालन कीजिए — क्योंकि आपका शरीर आपकी जिम्मेदारी है।

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