🔹 प्रस्तावना:
भारत समेत पूरी दुनिया में आज भी Orthopedic Surgeon को “सब कुछ जानने वाला” माना जाता है। मरीज और परिवार की यह मानसिकता इतनी गहरी बैठी हुई है कि सर्जरी के बाद भी जब Rehabilitation शुरू होना चाहिए, तब भी हर निर्णय सर्जन से ही पूछकर लिया जाता है।
यहीं से Blind Faith की समस्या शुरू होती है — और परिणामस्वरूप मरीज की Recovery रुक जाती है या बहुत धीमी हो जाती है।
🔹 सर्जन की भूमिका कहाँ तक है:
Orthopedic Surgeon का काम —
✔️Diagnosis (रोग की पहचान)
✔️Surgical Correction (हड्डी जोड़ना या Align करना)
✔️Post-Operative Medical Care (दवाइयाँ, टांके, संक्रमण नियंत्रण)
यानी सर्जन का मुख्य कार्य सर्जरी तक और सर्जरी के तुरंत बाद का होता है।
लेकिन Functional Recovery, यानी शरीर को फिर से सामान्य रूप से चलाने-फिराने की जिम्मेदारी Physiotherapist की होती है।
🔹 Physiotherapist की भूमिका कहाँ से शुरू होती है:
Rehabilitation का मतलब है —
“मरीज को उसकी शारीरिक, मानसिक और सामाजिक क्षमता के स्तर पर फिर से वापस लाना।”
इसमें Physiotherapist का रोल मुख्य होता है:
1. Muscle Strength & Flexibility पुनः स्थापित करना
2. Joint Stiffness कम करना
3. Posture और Gait सुधारना
4. Pain, Swelling और Spasm नियंत्रित करना
5. Daily Activity Training (ADL)
6. Functional Independence प्राप्त करना
इनमें से कोई भी काम सर्जन नहीं कर सकता — क्योंकि यह Clinical Rehabilitation Science है, जिसका विशेषज्ञ Physiotherapist होता है।
🔹 Blind Faith से होने वाले नुकसान:
Blind Faith का सीधा असर मरीज की Recovery पर पड़ता है।
1. Physiotherapy में Delay:
कई सर्जन मरीज से कहते हैं — “पहले एक-दो महीने आराम करो, बाद में फिजियोथेरपी शुरू करेंगे।” जबकि वास्तव में Delay से Joint Stiffness, Muscle Wasting और Poor Recovery हो जाती है।
2. Wrong Exercise Advice:
कुछ सर्जन बिना Proper Physiotherapy Assessment के सिर्फ़ “Exercise करो” बोल देते हैं, जिससे गलत मूवमेंट करने पर Implant Failure या Injury हो सकती है।
3. Lack of Functional Outcome:
Surgery सफल हो सकती है, लेकिन अगर Rehabilitation Scientific तरीके से नहीं किया गया, तो मरीज का चलना-फिरना सामान्य नहीं हो पाता।
यानी Surgery सफल लेकिन Patient असफल।
4. Psychological Dependence:
मरीज हर छोटी चीज़ सर्जन से पूछने लगता है, जिससे Confidence खत्म हो जाता है और Recovery धीमी होती है।
🔹 Patient Education की कमी:
Blind Faith का असली कारण है —
👉🏻मरीजों को Rehabilitation की Importance की जानकारी नहीं होती।
👉🏻उन्हें लगता है “सर्जरी ही इलाज है”, जबकि सर्जरी तो सिर्फ़ शुरुआत है, असली इलाज तो Physiotherapy से होता है।
🔹 सही दृष्टिकोण क्या होना चाहिए:
✅ सर्जन और फिजियोथेरपिस्ट — दोनों को Team की तरह काम करना चाहिए।
✅ मरीज को यह समझाया जाना चाहिए कि Surgery से “Structure” ठीक होता है और Physiotherapy से “Function” ठीक होता है।
✅ सर्जन को अपने मरीज को Certified Medical Physiotherapist के पास Early Referral देना चाहिए।
✅ मरीज को भी यह समझना चाहिए कि Recovery का असली आर्किटेक्ट Physiotherapist ही है।
🔹 निष्कर्ष:
“Rehabilitation के समय Orthopedic Surgeon पर Blind Faith रखना उतना ही हानिकारक है जितना बिना इलाज के बैठ जाना।”
Blind Faith विज्ञान की जगह भ्रम पैदा करता है। अगर समाज यह समझ ले कि सर्जरी से शरीर ठीक होता है, पर Physiotherapy से जीवन फिर से शुरू होता है, तो न केवल मरीजों की Recovery बेहतर होगी, बल्कि फिजियोथेरपी का सम्मान भी बढ़ेगा।
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