मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

“हमें तो Orthopedic Surgeon ने बोला ही नहीं, नहीं तो हम तो Physiotherapy करवा लेते” — मरीजों की मानसिकता, हेल्थ सिस्टम की कम्युनिकेशन गैप, और डॉक्टर–फिजियोथेरेपिस्ट के बीच तालमेल की कमी को बहुत गहराई से दर्शाया गया है

“हमें तो Orthopedic Surgeon ने बोला ही नहीं, नहीं तो हम तो Physiotherapy करवा लेते” — मरीजों की मानसिकता, हेल्थ सिस्टम की कम्युनिकेशन गैप, और डॉक्टर–फिजियोथेरेपिस्ट के बीच तालमेल की कमी को बहुत गहराई से दर्शाया गया है।
नीचे इस पर एक लम्बा नोट्स बताने जा रहा हूँ 👇🏻

🧠 मरीज की मानसिकता का विश्लेषण:-
       अक्सर मरीज यह मानकर चलते हैं कि किसी भी बीमारी या दर्द का अंतिम निर्णय केवल “Orthopedic Surgeon” या “Neurophysician” ही दे सकता है। लेकिन जब डॉक्टर ने Physiotherapy की सलाह नहीं दी होती, तब मरीज सोचता है —
 “शायद ज़रूरत ही नहीं है, वरना डॉक्टर बोल देते”

    यह सोच निर्देश-निर्भर मानसिकता (Instruction Dependent Mindset) कहलाती है — यानी जब तक कोई Authority (Doctor) बोले नहीं, तब तक मरीज खुद कोई Step नहीं लेता।

🩺 Orthopedic Surgeon की भूमिका:-
1. Surgeon का मुख्य फोकस रोग का निदान, दवा या सर्जरी तक सीमित होता है।
2. कई बार व्यस्तता, समय की कमी या Routine Practice के कारण वे हर केस में Physiotherapy की स्पष्ट सलाह नहीं देते।
3. कुछ डॉक्टरों को Physiotherapy की संभावनाओं और परिणामों की जानकारी सीमित होती है, जिससे वे केवल Painkillers या Rest पर ध्यान देते हैं।

🏋️‍♀️ Physiotherapy का छूट जाना — नुकसान मरीज का:-
❗Delay in Physiotherapy = Delay in Recovery
❗Muscle Weakness बढ़ती जाती है
❗Joint Stiffness और Chronic Pain स्थायी रूप ले लेता है
❗दवाओं पर निर्भरता बढ़ जाती है
❗Body Posture और Movement Pattern बिगड़ जाते हैं
🚫 यानी जब तक Physiotherapy शुरू नहीं होती, शरीर धीरे-धीरे “Deconditioning” में चला जाता है।

💬 कम्युनिकेशन गैप का परिणाम:-
🔸मरीज सोचता है: “Doctor ने नहीं बोला तो शायद ज़रूरत नहीं।”
🔸Physiotherapist सोचता है: “मरीज को Referral नहीं मिला इसलिए वह नहीं आ रहा।”
🔸Doctor सोचता है: “मरीज खुद समझ जाएगा या बाद में आएगा।”
👉 इस त्रिकोणीय Communication Gap की कीमत अंत में मरीज को ही चुकाना पड़ता है — दर्द, कमजोरी, जॉइन्ट की स्टीफनेस और धीमी रिकवरी के रूप में।

🧩 क्या किया जाए ?
1. Patient Education जरूरी है — हर मरीज को पता होना चाहिए कि Orthopedic समस्या में Physiotherapy एक Integral Part है, न कि विकल्प।

2. Self-awareness बढ़ाएं — अगर डॉक्टर ने नहीं बताया, तो भी मरीज खुद पूछ सकता है:
 “Doctor, क्या मेरी स्थिति में Physiotherapy मदद कर सकती है?”

3. Team Approach अपनाएं — Orthopedic Surgeon + Physiotherapist का मिलाजुला प्रबंधन ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है।

4. Physiotherapist की Direct Access Policy — कई देशों (और अब भारत में भी यह पालिसी लागु है ) में मरीज सीधे Physiotherapist से भी कंसल्ट कर सकते हैं, डॉक्टर की रेफरल के बिना।

🪷 निष्कर्ष:-
✔️“Doctor ने नहीं बोला तो हम नहीं करवाएंगे” — यह सोच बदलनी होगी।
Physiotherapy डॉक्टर की अनुमति पर निर्भर नहीं, बल्कि शरीर की ज़रूरत पर आधारित होती है।
✔️जब दर्द, कमजोरी, stiffness या movement की दिक्कत हो — तो सबसे पहले Medical Physiotherapist से मिलिए।
क्योंकि —
Early Physiotherapy means Early Recovery.”

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