मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

हर BPT डिग्रीधारी Physiotherapist नहीं होता

🩺 हर BPT डिग्रीधारी Physiotherapist नहीं होता

     आज के समय में Physiotherapy का क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहा है। हर साल सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों बच्चे BPT (Bachelor of Physiotherapy) की डिग्री लेकर बाहर निकलते हैं।
लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है — हर BPT डिग्रीधारी वास्तव में Physiotherapist नहीं होता।
     डिग्री केवल एक औपचारिक प्रमाण पत्र है, जबकि Physiotherapist होना एक सोच, एक दृष्टिकोण, एक जिम्मेदारी और एक सेवा भाव है।

🎓 डिग्री और ज्ञान — दो अलग बातें:
       बहुत से छात्र BPT को केवल “Doctor” शब्द पाने के लिए ज्वाइन करते हैं।
उनका उद्देश्य मरीज की तकलीफ को समझना नहीं बल्कि समाज में एक नाम और पहचान बनाना होता है। ऐसे लोगों के लिए डिग्री एक “status symbol” बन जाती है। पर सच्चा Physiotherapist वही है जो अपनी डिग्री को मरीज के जीवन में सुधार लाने के लिए उपयोग करता है।

ज्ञान, क्लिनिकल स्किल और मरीज की समझ —
ये तीन चीजें किसी डिग्री से नहीं मिलतीं, ये मिलती हैं अनुभव, मेहनत और ईमानदारी से सीखने की लगन से।

⚕️ Physiotherapist बनना एक Journey है:
      BPT कोर्स पूरा करना इस यात्रा का पहला कदम भर है। असली सफर शुरू होता है जब आप एक दर्द से कराहते हुए मरीज के सामने खड़े होते हैं — जहाँ किताबों के पन्ने जवाब नहीं देते, बल्कि आपकी सोच, आपकी Clinical Reasoning और Empathy काम आती है।
      Physiotherapy केवल exercises का नाम नहीं है, यह Science, Psychology और Humanity का एक सुंदर मेल है। सच्चा Physiotherapist वही है जो मरीज के शरीर के साथ-साथ उसके मन को भी heal करे।

💭 हर Physiotherapist में “Sense of Responsibility” जरूरी है:
      Physiotherapist होना मतलब यह समझना कि आपका हर फैसला, हर उपचार, हर शब्द — मरीज की recovery को प्रभावित करता है।
      जो BPT पास करके बिना patient safety समझे “clinic” खोल लेते हैं,
वो केवल अपनी डिग्री का दुरुपयोग करते हैं। Physiotherapy केवल muscles और joints की बात नहीं करती, यह patient education, rehabilitation और preventive care का भी विज्ञान है।
जो इसे समझ लेता है, वही असली Physiotherapist कहलाने लायक होता है।

🧠 Physiotherapist में Clinical Thinking का महत्व:
       कई लोग treatment protocol रट लेते हैं —लेकिन Clinical Reasoning का मतलब होता है हर मरीज को “individual” समझना। हर दर्द का pattern, हर posture, हर movement अलग होता है। सच्चा Physiotherapist वही है जो textbook नहीं, patient की body language पढ़ सके।

जो केवल “machine” चलाना जानता है, वो technician है;
पर जो “movement” समझता है, वो Physiotherapist है।

❤️ Physiotherapist बनना एक Service है, Profession नहीं:
Physiotherapy का मूल उद्देश्य है —
“मरीज को उसकी Independence वापस देना”
यह काम वही कर सकता है जो खुद अपने Profession के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ा हो। जिस दिन कोई Physiotherapist अपने मरीज की recovery में खुशी महसूस करने लगे, वही दिन उसकी असली डिग्री का दिन होता है — क्योंकि “Degree तो सबको मिल जाती है, पर Respect कमाने में ज़िंदगी लगती है।”

🔍 निष्कर्ष:
हर BPT डिग्रीधारी Physiotherapist नहीं होता, क्योंकि Physiotherapist बनना केवल किताबों से नहीं, बल्कि मरीज के दर्द को समझने की संवेदना, Clinical reasoning की गहराई, और मन से इलाज करने की निष्ठा से होता है।

“डिग्री देना यूनिवर्सिटी का काम है, पर Physiotherapist बनना आत्मा की साधना है”

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