मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

“Medicine treatment में supportive role निभाती है, recovery का role Physiotherapy निभाती है”

“Medicine treatment में supportive role निभाती है, recovery का role Physiotherapy निभाती है”

       अक्सर मरीज यह सोचते हैं कि किसी भी बीमारी या दर्द का इलाज केवल दवा से ही संभव है। जब दर्द होता है, तो पहली प्रतिक्रिया होती है — “दवा लो, इंजेक्शन लगवाओ, दर्द चला जाएगा।” लेकिन सच्चाई यह है कि medicine केवल supportive role निभाती है। दवाइयाँ अस्थायी राहत देती हैं, शरीर के अंदर चल रही सूजन, दर्द या स्पैज़्म को थोड़े समय के लिए कम करती हैं ताकि मरीज कुछ सामान्य महसूस कर सके।
        लेकिन क्या इससे शरीर का असली healing process पूरा हो जाता है?
नहीं। क्योंकि दवा symptom को control करती है, लेकिन root cause को नहीं मिटाती।

        दूसरी ओर, Physiotherapy उस कारण को समझकर उसे ठीक करने का काम करती है। यह केवल दर्द कम नहीं करती — यह शरीर को फिर से उसकी प्राकृतिक कार्यक्षमता (functionality) लौटाने में मदद करती है।
यानी– 
“जहां medicine support करती है, वहीं physiotherapy restore करती है”
🔹 Medicine का काम — Support System:
▫️दर्द, सूजन या stiffness को control करना
▫️शरीर को physiotherapy के लिए तैयार करना
▫️acute stage में patient को comfort देना
▫️muscle spasm या inflammation को temporarily कम करना

Medicine शरीर के healing process को आसान बनाती है — लेकिन यह प्रक्रिया को पूरा नहीं करती।

उदाहरण के तौर पर— अगर किसी को slipped disc, knee pain, frozen shoulder, या post-surgery stiffness है, तो केवल painkiller या anti-inflammatory से कुछ दिनों की राहत मिलेगी — लेकिन समस्या की जड़ जस की तस रहेगी।

🔹 Physiotherapy का काम — Recovery Process➡️
✔️समस्या की जड़ (root cause) को पहचानना
✔️मांसपेशियों, जोड़ों और नसों के बीच coordination को restore करना
✔️body alignment, posture, strength और flexibility को सुधारना
✔️natural healing को activate करना
✔️Drugs दवा की dependency को कम या खत्म करना

👉🏻Physiotherapy patient के शरीर को खुद से heal करना सिखाती है। यह pain suppression नहीं, correction पर आधारित है।
यही कारण है कि physiotherapy का असर देर तक रहता है, जबकि दवा का असर कुछ घंटों या दिनों तक।

🔹 एक उदाहरण से समझें—
      मान लीजिए किसी मरीज को knee pain है। वह दवा लेता है — दर्द कम हो जाता है। लेकिन अगर वह चलने के गलत तरीके, कमजोर thigh muscles, या stiffness को नजरअंदाज करता है, तो कुछ दिनों बाद दर्द फिर लौट आता है।
       अगर वही मरीज physiotherapy लेता है, तो physiotherapist उसकी चाल, muscle strength, joint mobility और posture को सुधारता है।
उसके बाद धीरे-धीरे knee stabilise होता है, pain खत्म होता है, और patient बिना दवा के सामान्य जीवन जीने लगता है।

🔹 असली healing कहाँ होती है?
Healing तब होती है जब body खुद से repair करने लगती है — और physiotherapy इसी प्रक्रिया को activate करती है। Physiotherapy शरीर के अंदर की natural recovery mechanism को जगाती है, जिससे long-term results मिलते हैं।

“जहाँ medicine comfort देती है, 
वहीं physiotherapy confidence लौटाती है”

“जहाँ medicine temporary relief देती है, 
वहीं physiotherapy permanent recovery देती है

🔹 निष्कर्ष:
👉 Medicine जरूरी है, लेकिन limited role के साथ — यह सिर्फ support system है।
👉 Physiotherapy उस support को recovery में बदलती है।
👉 दवा शरीर को शांत करती है, Physiotherapy शरीर को मजबूत करती है।
👉 अगर कोई मरीज सिर्फ medicine पर निर्भर रहता है, तो वह comfort zone में फँस जाता है;
लेकिन जो Physiotherapy अपनाता है, वह recovery zone में पहुँच जाता है।

Final Thought:

“Medicine शरीर को आराम देती है, 
Physiotherapy शरीर को जीवन देती है।”

“Support से recovery की यात्रा — यही असली इलाज की दिशा है।”

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