शनिवार, 25 अक्टूबर 2025

“अरे मैंने तो Physiotherapy के लिये बोला ही नहीं, आप अभी से Physiotherapy करवा रहे हो” — Orthopedic Surgeon की Ego full मानसिकता

“अरे मैंने तो Physiotherapy के लिये बोला ही नहीं, आप अभी से Physiotherapy करवा रहे हो” — Orthopedic Surgeon की Ego full मानसिकता

         चिकित्सा प्रणाली में Orthopedic Surgeon और Physiotherapist के बीच की दूरी आज भी एक बड़ी समस्या है। जब कोई मरीज अपने दर्द, फ्रैक्चर या सर्जरी के बाद Physiotherapy शुरू करता है, तो अक्सर कुछ Orthopedic Surgeons यह कहते सुनाई देते हैं —

 “अरे मैंने तो बोला ही नहीं, आप physiotherapy क्यों करवा रहे हो अभी से?”

        यह वाक्य मात्र एक टिप्पणी नहीं, बल्कि Orthopedic Surgeon की मानसिकता, अहंकार, और lack of inter-professional trust को दर्शाता है। इस सोच के पीछे कई परतें छिपी होती हैं — जिन्हें समझना जरूरी है ताकि मरीज को सही समय पर सही इलाज मिल सके।

🧠 1. नियंत्रण की मानसिकता (Control-Oriented Approach):
      कई Orthopedic Surgeons मरीज को “अपना केस” मानकर देखते हैं,  जैसे तो उन्होंने मरीज को खरीद लिया हो। उन्हें लगता है कि जब तक उनकी अनुमति न हो, तब तक कोई दूसरा Health Professional मरीज को छू भी न सके। यह मानसिकता इस विचार पर आधारित है कि “Authority” सिर्फ उन्हीं के पास है।
      मरीज की भलाई से ज़्यादा अहम हो जाता है अपने आदेश का पालन करवाना। यही कारण है कि जब मरीज स्वतंत्र रूप से Physiotherapy शुरू करता है, तो कुछ डॉक्टरों को लगता है जैसे उनकी “Power” कम हो गई हो।

🩹 2. Physiotherapy के महत्व की अनदेखी:
Orthopedic treatment दो भागों में बँटा होता है —
1️⃣पहला: सर्जरी या हड्डी का alignment ठीक करना (Structural Repair)

2️⃣दूसरा: मांसपेशियों, जोड़ों और movement को सामान्य बनाना (Functional Recovery)

पहला काम Orthopedic Surgeon करता है, और दूसरा — Physiotherapist!
    लेकिन दुर्भाग्य से भारत में कई डॉक्टर दूसरे भाग को कम आंकते हैं। उन्हें लगता है कि सर्जरी के बाद शरीर अपने आप ठीक हो जाएगा, जबकि Rehabilitation के बिना Movement की पूर्ण वापसी असंभव है।

⚙️ 3. Interdisciplinary Coordination का अभाव:
      विकसित देशों में Orthopedic Surgeon और Physiotherapist मिलकर सर्जरी से पहले और बाद की Rehab Timeline बनाते हैं।
वहां Surgeon खुद कहते हैं —

 “Physiotherapy शुरू करवाइए, recovery तभी पूरी होगी”

     जबकि भारत में “coordination” की जगह “Ego Boundary” बन जाती है। डॉक्टर सोचता है कि Physiotherapist उसकी बात काट रहा है, जबकि असल में वह मरीज को Functional Independenceदिला रहा होता है।

🧍‍♀️ 4. मरीज के नुकसान की अनदेखी:
       Surgeon की इस “अहंकार वाली मानसिकता” का खामियाज़ा अंततः मरीज को भुगतना पड़ता है। जब Physiotherapy देर से शुरू होती है —
❗Joint stiffness बढ़ जाती है
❗मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं
❗दर्द पुराना (chronic) बन जाता है
❗Balance और gait बिगड़ जाते हैं
❗Recovery का समय दोगुना या तिगुना हो जाता है

ऐसे में मरीज महीनों बाद भी सही से चल नहीं पाता, जबकि समय पर Physiotherapy शुरू कर दी जाती तो 3–4 हफ्तों में mobility आ जाती।

💭 5. “Doctor knows everything” सिंड्रोम:
🔹कई डॉक्टर अब भी इस सोच में फंसे हैं कि “सारा Medical Knowledge मेरे पास, ही है।”
🔹जबकि आधुनिक चिकित्सा Teamwork पर आधारित है।
Physiotherapist भी एक Doctor Of Movement Science है, जो शरीर की Biomechanics और Rehabilitation को गहराई से समझता है।
🔹यदि Orthopedic Surgeon इस ज्ञान को स्वीकार कर लें तो मरीज की Recovery कई गुना तेज़ हो सकती है।

🧩 6. Communication Gap:
🚫कई बार समस्या “अहंकार” नहीं बल्कि “lack of communication” की भी होती है।
🚫Orthopedic Surgeon और Physiotherapist आपस में बात नहीं करते, Referral System स्पष्ट नहीं होता।
मरीज बीच में भ्रमित हो जाता है —किसकी सुनूं?”
परिणामस्वरूप मरीज की Recovery का समय बढ़ता चला जाता है।

🌱 7. समाधान — Teamwork की संस्कृति विकसित करें:
✔️अब समय आ गया है कि हम Orthopedic और Physiotherapy को “दो अलग शाखाएँ” नहीं बल्कि “एक ही पेड़ की दो जड़ें” मानें।
✔️सर्जरी से पहले Prehabilitation और सर्जरी के बाद Post Rehabilitation दोनों अनिवार्य होने चाहिए।
✔️Orthopedic Surgeon को यह समझना होगा कि Physiotherapist कोई “optional add-on” नहीं, बल्कि “treatment partner” है।

💬 8. मरीजों के लिये संदेश:
यदि आपका डॉक्टर यह कहे —

 “अरे मैंने तो Physiotherapy के लिये बोला ही नहीं...”
तो घबराएँ नहीं।
आप यह याद रखें कि आपकी Body को Movement की ज़रूरत है, और Physiotherapist वही Movement Restore करता है। आपका शरीर आपकी जिम्मेदारी है — और Recovery का समय बर्बाद करना आपके ही नुकसान में है।

🔚 निष्कर्ष:
       Orthopedic Surgeon की यह मानसिकता कि “मैंने नहीं बोला तो Physiotherapy क्यों की जा रही है” वास्तव में एक Ego-based Mindset है, न कि Patient-centered Approach।
Medical system तभी मजबूत होगा जब डॉक्टर और Physiotherapist एक-दूसरे के ज्ञान और भूमिका का सम्मान करेंगे।

Physiotherapy कोई luxury नहीं — यह healing की science है।
और जो डॉक्टर इस बात को समझते हैं, वही वास्तव में Modern Healer कहलाते हैं।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें