सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

गली-गली में फर्जी Physiotherapist

*गली-गली में फर्जी Physiotherapist*

आजकल हर गली, हर मोहल्ले, और छोटे-बड़े कस्बों में “Physiotherapy Center” का बोर्ड देखने को मिल जाता है। पहली नज़र में यह मरीजों के लिए राहत और सुविधा जैसा लगता है, लेकिन असलियत अक्सर इससे उलट होती है। इनमें से बहुत सारे सेंटर और तथाकथित Physiotherapist असली नहीं, बल्कि फर्जी या अधकचरे होते हैं।

🤔 क्यों हो रही है फर्जी Physiotherapists की बाढ़?

1. Private non-medical universities की भरमार:
🔸देशभर में ऐसी प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ खुल गई हैं जिनका कोई मेडिकल बैकग्राउंड नहीं है।
🔸ये यूनिवर्सिटी बिना क्लिनिकल exposure दिए BPT/MPT की डिग्रियाँ बाँट रही हैं।
🔸हर साल लाखों की संख्या में कागज़ी physiotherapist हर साल निकल रहे हैं।

2. कानून और नियंत्रण का अभाव❗
🔸जैसे डॉक्टरों के लिए Medical Council है, वैसे Physiotherapy के लिए कोई मजबूत National Council नहीं है।
🔸Rehabilitation Council of India (RCI) सिर्फ rehab courses को मान्यता देता है, BPT/MPT को नहीं।
🔸इस खाली जगह का फायदा उठाकर फर्जी कॉलेज और फर्जी physiotherapist दोनों पनप रहे हैं।

3. मरीज की जानकारी की कमी❗
🔸आम जनता physiotherapist और technician/attendant के फर्क को नहीं जानती।
🔸लोग यह नहीं समझते कि “Physiotherapy Center” = qualified Physiotherapist नहीं होता।

4. Hospitals और Doctors का व्यावसायिक फायदा❗
🔸कई अस्पताल qualified physiotherapist रखने के बजाय सस्ते, unqualified लोगों से काम चलाते हैं, जिससे वे लोग बहुत कम फीस में एक्सरसाइज करवा देते है।
🔸मरीज सोचता है कि “hospital में है, तो सब सही होगा”, लेकिन असल में exploitation हो रहा होता है।

5. Marketing और झूठी ब्रांडिंग❗
🔸बड़े-बड़े बोर्ड: “Advance Physiotherapy”, “Neuro Specialist”, “Pain Expert”
🔸जबकी Private non medical universities की असल योग्यता छुपा दी जाती है और दिखावा ज्यादा किया जाता है।

🚫नुकसान किसे होता है?
🔴 मरीज को: गलत इलाज, machine पर dependency, या गलत exercise से हालत और बिगड़ सकती है।
🔴 Qualified physiotherapist को: RUHS और Mahatma Gandhi Medical university से असली मेहनत करने वाले भीड़ में खो जाते हैं और उनका सम्मान भी गिरता है।
🔴 समाज को: Physiotherapy एक important medical science है, लेकिन फर्जी लोगों की वजह से इसकी credibility घट रही है।

मरीज क्या कर सकते हैं?
✅ Physiotherapist से उनकी डिग्री और यूनिवर्सिटी पूछें।
✅ कोशिश करें कि medical universities से qualified physiotherapist से ही इलाज करवाएँ।
✅ “Doctor” शब्द देखकर भ्रमित न हों – Physiotherapist = BPT/MPT डिग्री वाला डॉक्टर है , जबकी MBBS/MS medical Doctor है।
✅ Blind faith न करें – cross-check करें।

निष्कर्ष✔️
गली-गली में फर्जी Physiotherapist सिर्फ एक मज़ाकिया वाक्य नहीं, बल्कि आज के समय का एक गंभीर सच है। अगर समाज, मरीज और सरकार इस पर ध्यान नहीं देंगे, तो आने वाले समय में Physiotherapy जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य क्षेत्र का पूरा मूल्य घट जाएगा। यह सिर्फ पेशे की लड़ाई नहीं है, बल्कि मरीज की सुरक्षा और RUHS और MEDICAL UNIVERSITIES से पास मेहनती physiotherapists के जीवन का सवाल है।

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