शनिवार, 25 अक्टूबर 2025

“ACL Reconstruction Surgery Successful तभी, जब Physiotherapy Timely हो — डॉक्टर की लापरवाही, मरीज की सबसे बड़ी सजा!”

🩺 विषय: 🩺 “ACL Reconstruction Surgery Successful तभी, जब Physiotherapy Timely हो — डॉक्टर की लापरवाही, मरीज की सबसे बड़ी सजा!”

🌿 प्रस्तावना:
         ACL Reconstruction Surgery (Anterior Cruciate Ligament पुनर्निर्माण सर्जरी) घुटने के सबसे महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में से एक मानी जाती है।
यह सर्जरी केवल "ligament" को जोड़ने का कार्य करती है, लेकिन घुटने की "Functional Recovery" — यानी चलने, झुकने, दौड़ने और सीढ़ियाँ चढ़ने की क्षमता — केवल Physiotherapy के माध्यम से ही वापस आती है।
      फिर भी भारत सहित कई देशों में आज भी ऐसी घटनाएँ आम हैं जहाँ Orthopedic Surgeon मरीज को Physiotherapy के लिए हफ्तों तक रोक देते हैं — और परिणामस्वरूप मरीज स्थायी अकड़न, दर्द और कमजोरी से जूझता रह जाता है।

⚙️ सर्जरी के बाद Physiotherapy की अनिवार्यता:
ACL graft सर्जरी के बाद शरीर को दो चीज़ों की ज़रूरत होती है —
1. Healing (भरण-पोषण)
2. Rehabilitation (पुनर्वास)

       सर्जरी Healing को शुरू करती है, लेकिन Rehabilitation का कार्य Physiotherapy करती है। यदि Physiotherapy देर से शुरू की जाती है, तो graft चाहे कितना भी सफल हो, घुटना अपना normal motion और strength नहीं पा सकता।

कब शुरू होनी चाहिए Physiotherapy?

🔹 पहले ही 24–48 घंटे के भीतर:
       सर्जरी के 1–2 दिन बाद ही physiotherapy शुरू कर दी जानी चाहिए।
यह बात international rehab protocol (जैसे Baylor College of Medicine, AAOS Guidelines, और Cincinnati ACL Protocol) में स्पष्ट रूप से लिखी गई है।

शुरुआती दिनों में क्या किया जाता है:
दिन - उद्देश्य - प्रमुख क्रियाएँ
👉🏻Day 1–2 - सूजन घटाना, circulation बनाए रखना - Ice therapy, Ankle pumps, Quadriceps sets
👉🏻Day 3–7 - घुटने को सीधा रखना और bend शुरू करना - Passive bending (0–60°), Patella mobilization
👉🏻Week 2–4 - Muscles activate करना - SLR (Straight Leg Raise), Partial weight bearing
👉🏻Week 4–6 - Normal gait pattern - Cycling, balance training
👉🏻3 महीने के बाद - Functional training - Step-ups, squats, proprioception drills
👉🏻6 महीने के बाद Sports readiness - Plyometric & agility exercises

🚫 अगर Physiotherapy देर से शुरू की जाए तो क्या होता है?
❌ 1. Joint Stiffness (Arthrofibrosis):
घुटना पूरी तरह सीधा या मुड़ा नहीं रह पाता। Scar tissue बन जाता है जो permanent stiffness का कारण बनता है।

❌ 2. Muscle Atrophy (पैर पतला पड़ जाता है):
Quadriceps और hamstrings इतनी कमजोर हो जाती हैं कि मरीज सीढ़ियाँ तक नहीं चढ़ पाता।

❌ 3. Pain & Swelling बढ़ जाना:
Movement न होने से synovial fluid की circulation रुक जाती है — जिससे सूजन और दर्द बढ़ता है।

❌ 4. Graft Failure का खतरा:
लंबे समय तक immobilization से graft की alignment खराब हो सकती है, जिससे वह ढीला पड़ जाता है।

5. Walking & Balance में गड़बड़ी:
मरीज “limp” के साथ चलता है क्योंकि proprioception system revive नहीं होता।

⚠️ Surgeon की लापरवाही कब मानी जाती है:

🔴 1. Physiotherapy को हफ्तों तक टाल देना-
अगर सर्जन कहते हैं —
 “पहले टांके निकल जाएँ फिर शुरू करेंगे,”
“3 हफ्ते तक कुछ मत करो,”
“6 हफ्ते बाद physiotherapy शुरू करेंगे”
तो यह medical negligence की श्रेणी में आता है।
          क्योंकि Modern Research यह साबित कर चुकी है कि Early Physiotherapy Graft को नुकसान नहीं पहुँचाती, बल्कि Graft Healing को बेहतर बनाती है।

🔴 2. Physiotherapy की Proper Referral न देना:
         कई डॉक्टर discharge summary में केवल “Physiotherapy later” लिख देते हैं — बिना किसी protocol या physiotherapist के नाम के उल्लेख के,  यह भी gross negligence है, क्योंकि मरीज दिशाहीन हो जाता है।

🔴 3. Physiotherapist से Coordination न रखना:
ACL rehab एक team approach है — surgeon और physiotherapist के तालमेल से ही patient recover कर सकता है। जब डॉक्टर physiotherapist से बात नहीं करते, तो patient की therapy अधूरी रह जाती है।

🔴 4. Pain या Fear के नाम पर Physiotherapy रोक देना:
कई बार सर्जन यह कह देते हैं —
“अभी मत हिलाओ, दर्द बढ़ जाएगा”
लेकिन यही डर मरीज को lifelong stiffness दे देता है।
Pain को manage किया जा सकता है, लेकिन movement delay को नहीं।

🧠 Modern Orthopedic Principle: “Early Motion is Key”:
 ✅ जितनी जल्दी physiotherapy शुरू होती है, उतनी जल्दी patient normal life में लौटता है।
❌ जितनी देर होती है, उतनी recovery कठिन और अधूरी रह जाती है।
यह सिद्धांत हर आधुनिक orthopedic textbook में वर्णित है।

💬 वास्तविकता (Ground Reality):
भारत के अधिकांश private setups या छोटे hospitals में:
❗Surgeon Physiotherapy को महत्व नहीं देते
❗In-house physiotherapist नहीं होता
❗मरीज को “सिर्फ दवा और पट्टी” में रखा जाता है
❗और 3–4 हफ्ते बाद जब physiotherapy शुरू होती है, तब तक joint जाम हो चुका होता है।

🚫 परिणाम — सर्जरी सफल पर घुटना असफल!

🔍 मरीज के लिए जरूरी सलाह:
1. सर्जरी से पहले ही Physiotherapist से मिलें और अपना prehab protocol पूरा करवाएँ।
2. Discharge summary में लिखवाएँ — “Physiotherapy to begin within 24–48 hours.”
3. अगर डॉक्टर delay कर रहे हैं, तो दूसरा opinion लें।
4. Physiotherapist से daily follow-up रखें और exercise journal maintain करें।

🩵 निष्कर्ष:
          ACL Reconstruction Surgery के बाद Physiotherapy की शुरुआत में एक-एक दिन की देरी भी recovery को महीनों पीछे धकेल सकती है। अगर कोई Orthopedic Surgeon patient को physiotherapy शुरू करने से रोकता है या delay करवाता है, तो यह न केवल अज्ञानता, बल्कि लापरवाही (Negligence) की श्रेणी में आता है।
       सफल सर्जरी की गारंटी तभी है जब उसके बाद सफल Physiotherapy की जाए। सर्जन ऑपरेशन करते हैं, लेकिन मरीज को वापस खड़ा Physiotherapist करता है।

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