गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025

“मैं डॉक्टर हूँ, सारे फैसले मैं ही लूँगा” — अहंकार की झलक या जिम्मेदारी की सीमा ?

बिलकुल — यह विषय गहराई से जुड़ा है डॉक्टर–पेशेंट–टीम डायनामिक्स, मेडिकल एथिक्स और प्रोफेशनल अहंकार (Ego in Medicine) से।
आइए इसे विस्तार से समझते हैं 👇

🧠 विषय:
“मैं डॉक्टर हूँ, सारे फैसले मैं ही लूँगा” — अहंकार की झलक या जिम्मेदारी की सीमा ?

🌿 1️⃣ प्रस्तावना — जब ज्ञान अहंकार में बदल जाता है:

“मैं डॉक्टर हूँ, मुझे सब पता है” — यह वाक्य किसी भी प्रोफेशन में सबसे खतरनाक मानसिक स्थिति की शुरुआत होती है। डॉक्टर का काम केवल “निर्णय लेना” नहीं, बल्कि “सही निर्णय के लिये पूरी टीम की विशेषज्ञता का उपयोग करना” होता है। लेकिन जब ‘Authority’ और ‘Ego’ के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है, तो सहयोग (Collaboration) की जगह एकतरफा नियंत्रण (Domination) ले लेता है।

⚖️ 2️⃣ डॉक्टर के अहंकार की जड़ें:

1. सामाजिक स्थिति और सम्मान — हमारे समाज में डॉक्टर को सर्वोच्च सम्मान प्राप्त है। यह सम्मान कई बार “सत्ता” (Power) के रूप में महसूस होने लगता है।

2. लंबी पढ़ाई और संघर्ष — वर्षों की मेहनत और त्याग के बाद डॉक्टर बनना एक गर्व की बात है। लेकिन कभी-कभी यह गर्व “सुपीरियरिटी कॉम्प्लेक्स” में बदल जाता है।

3. Single Command Structure — मेडिकल सिस्टम में अक्सर निर्णय लेने की पूरी जिम्मेदारी डॉक्टर पर होती है, जिससे “सहयोग” की जगह “एकाधिकार” की भावना बन जाती है।

🤝 3️⃣ टीमवर्क का अर्थ — “Decision Sharing”

     आधुनिक चिकित्सा में अब “Solo Doctor” नहीं, बल्कि “Multidisciplinary Team” की अवधारणा है —
Orthopedic Surgeon, Physiotherapist, Dietitian, Psychologist, Occupational Therapist आदि सभी मिलकर मरीज की सम्पूर्ण भलाई के लिये काम करते हैं।
👉 लेकिन जब डॉक्टर सोचता है कि —
 “मैं सब कुछ जानता हूँ, Physiotherapist को सिर्फ़ वही करना है जो मैं कहूँ,” तो वह पूरी टीम की बुद्धिमत्ता और मरीज की रिकवरी दोनों को सीमित कर देता है।

🩺 4️⃣ अहंकार का क्लिनिकल असर

1. Delayed Recovery — जब Physiotherapist को स्वतंत्र Clinical Judgment की अनुमति नहीं होती, तो इलाज mechanical बन जाता है, scientific नहीं।

2. Communication Gap — मरीज और डॉक्टर के बीच भय या दूरी बढ़ती है, जिससे मरीज खुलकर अपनी समस्या नहीं बता पाता।

3. Moral Burnout — सहयोगियों (जैसे Physiotherapists या Nurses) का आत्मविश्वास घटता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता भी कम हो जाती है।

🔬 5️⃣ परिपक्व दृष्टिकोण — “Authority नहीं, Responsibility”
सच्चा डॉक्टर वही है जो अपनी सीमाएँ पहचानता है।
वह जानता है कि —
“मैं निदान में विशेषज्ञ हूँ,”
“पर मरीज की functional recovery में Physiotherapist की भूमिका मुझसे कहीं गहरी है।”

👉 Leadership का मतलब “सबसे आगे चलना” नहीं, बल्कि “सबको साथ लेकर चलना” है। असली डॉक्टर वही है जो दूसरों की विशेषज्ञता को सम्मान देता है और उन्हें निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी का अधिकार देता है।

🌸 6️⃣ निष्कर्ष —

“मैं डॉक्टर हूँ, सारे फैसले मैं ही लूँगा” कहना ज्ञान की नहीं, असुरक्षा की निशानी है।
जो डॉक्टर आत्मविश्वासी होता है, वह दूसरों से सलाह लेने में झिझकता नहीं।
क्योंकि उसे पता होता है कि “साझा बुद्धि ही सच्चा विज्ञान है।”

 🕊️ जहाँ अहंकार खत्म होता है, वहीं से चिकित्सा का असली विज्ञान शुरू होता है।

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