शनिवार, 1 नवंबर 2025

“मुझे ‘थेरेपी वाला भैया’ नहीं, Physiotherapist कहिए — पेशे का सम्मान समझिए”

“मुझे ‘थेरेपी वाला भैया’ नहीं, Physiotherapist कहिए — पेशे का सम्मान समझिए”

       भारत में अक्सर एक आम दृश्य देखने को मिलता है — अस्पतालों, क्लीनिकों या घरों में काम करने वाले Physiotherapist को लोग “थेरेपी वाला भैया” या “मालिश वाला” कहकर बुला देते हैं। यह शब्द देखने में भले ही सामान्य लगे, पर इसके पीछे छिपा है एक पूरी मानसिकता, जो हमारे समाज में स्वास्थ्य पेशों की समझ की गहराई को उजागर करती है।
🔹 शब्दों से बनती है पहचान, और पहचान से बनता है सम्मान—
      हर पेशे की अपनी एक गरिमा होती है। जैसे हम डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक या वकील को उनके नाम और पद से संबोधित करते हैं, वैसे ही Physiotherapist को भी उसी सम्मान की आवश्यकता है।
“थेरेपी वाला भैया” कहना, उस व्यक्ति की मेहनत, शिक्षा और पेशेवर योग्यता को नज़रअंदाज़ करना है।
       एक Physiotherapist ने MBBS के बराबर 6 से 8 साल की गहन मेडिकल शिक्षा ली होती है — Anatomy, Physiology, Neurology, Orthopaedics, Cardio-respiratory, Exercise Therapy और Rehabilitation जैसे विषयों में गहरी जानकारी रखता है। वह शरीर के pain, movement और recovery के science को समझता है — यह कोई साधारण प्रशिक्षण नहीं, बल्कि medical profession का एक महत्वपूर्ण अंग है।

🔹 समस्या केवल भाषा की नहीं, सोच की है—
    जब आप किसी Physiotherapist को “भैया” या “थेरेपी वाला” कहकर बुलाते हैं, तो आप अनजाने में उनके प्रोफेशन को एक सेवा या मजदूरी के रूप में दिखाते हैं, जबकि वह एक Qualified Health Professional हैं।
यह सोच सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में दिखती है —
▫️कई डॉक्टर Physiotherapist से संवाद नहीं करते,
▫️अस्पतालों में उन्हें सिर्फ “support staff” की तरह देखा जाता है,
▫️और समाज में उनका परिचय “मालिश करने वाले” के रूप में दिया जाता है।

       यह मानसिकता न केवल उनके सम्मान को ठेस पहुँचाती है, बल्कि मरीज के इलाज की गुणवत्ता पर भी असर डालती है। “क्योंकि जब मरीज Physiotherapist को बराबरी के पेशेवर के रूप में नहीं देखता, तो वह उनके निर्देशों को गंभीरता से नहीं लेता — और उसकी Recovery भी अधूरी रह जाती है”

🔹 Physiotherapy: इलाज की विज्ञान, दया या सेवा नहीं—
       Physiotherapy सिर्फ दर्द कम करने की तकनीक नहीं है — यह मेडिकल साइंस की एक पूरी शाखा है जो शरीर की प्राकृतिक Healing प्रक्रिया को वैज्ञानिक तरीके से सक्रिय करती है। यह Profession शरीर के हर अंग के Biomechanics, Neurology, Posture और Functionको समझता है और बिना दवा के शरीर की कार्यक्षमता को बहाल करता है।
      “Physiotherapist कोई “थेरेपी देने वाला” नहीं, बल्कि MBBS के बराबर योग्यता रखने वाला Movement Scientist होता है, जो शरीर की हर क्रिया को पुनः सक्षम बनाता है”

🔹 सम्मान दो — क्योंकि यह पेशा समाज की रीढ़ है—
       अगर किसी को चलने, बैठने, उठने या काम करने में कठिनाई होती है, तो उसका सबसे सटीक साथी Physiotherapist ही होता है। वह किसी भी सर्जरी के बाद Recovery में, Stroke के बाद Rehabilitation में, Joint Pain या Sports Injury में, और Chronic Diseases जैसे Arthritis, Sciatica या Paralysis में एक मुख्य भूमिका निभाता है।
     फिर भी उसे “भैया” या “थेरेपी वाला” कह देना, समाज की कृतघ्नता को दिखाता है।

🔹 परिवर्तन की शुरुआत आपकी ज़ुबान से होती है—
      किसी पेशे का सम्मान देने के लिए बड़े भाषणों की ज़रूरत नहीं होती — बस सही शब्दों का चुनाव करना होता है। अगली बार जब कोई आपकी या आपके परिवार की फिजियोथेरेपी कर रहा हो, तो उसे “भैया” नहीं, Physiotherapist कहिए। क्योंकि वह सिर्फ एक सेवा नहीं दे रहा, वह आपकी ज़िंदगी की गुणवत्ता सुधारने में विज्ञान का योगदान दे रहा है।

🔹 निष्कर्ष: सम्मान तभी मिलेगा जब पहचान सही होगी—
      Physiotherapy को “थेरेपी” या “मालिश” समझना, उस विज्ञान का अपमान है जो इंसान को दवाओं और ड्रग्स से मुक्त होकर जीना सिखाता है।जिस दिन समाज यह समझ जाएगा कि Physiotherapist सिर्फ “मदद करने वाला” नहीं बल्कि “इलाज करने वाला” होता है, उस दिन यह पेशा अपनी असली पहचान और सम्मान पाएगा।

💬 “याद रखिए — हर बार जब आप “Physiotherapist” शब्द बोलते हैं, आप केवल एक व्यक्ति नहीं, एक पूरे पेशे का सम्मान कर रहे होते हैं”

🩺 “मुझे ‘थेरेपी वाला भैया’ नहीं, Physiotherapist कहिए — पेशे का सम्मान समझिए।”


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