सोमवार, 3 नवंबर 2025

“Physiotherapy करवाते समय Hospital नहीं, Physiotherapist की University पूछें — असली पहचान शिक्षा से होती है, नाम से नहीं”

“Physiotherapy करवाते समय Hospital नहीं, Physiotherapist की University पूछें — असली पहचान शिक्षा से होती है, नाम से नहीं”

आज के दौर में “Hospital” शब्द सुनते ही लोगों के मन में एक भरोसा जागता है — चमकती इमारतें, काच के दरवाजे खिड़कियां, बड़ी मशीनें, नामी डॉक्टर, और हर बीमारी का इलाज। लेकिन इसी भरोसे के बीच एक गंभीर भूल छिपी होती है — हम इलाज देने वाले व्यक्ति की शिक्षा और योग्यता को नहीं देखते, बल्कि सिर्फ उस जगह का नाम देखते हैं जहाँ इलाज हो रहा है। यही गलती आज फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है।
🔹 Hospital नहीं, Physiotherapist इलाज करता है—
      आप जिस अस्पताल में जाते हैं — Narayana, Fortis, EHCC, Manipal, SMS या कोई और — वहाँ Physiotherapy Department सिर्फ एक “सुविधा” है, लेकिन इलाज देने वाला व्यक्ति एक प्रशिक्षित Physiotherapist होता है। वही आपके दर्द का मूल्यांकन करता है, मूवमेंट को जांचता है, और आपका Rehabilitation प्लान बनाता है।
Hospital केवल “स्थान” है, लेकिन Physiotherapist “ज्ञान” है।

Hospital के बड़े नाम से आपकी रिपोर्ट या दर्द नहीं सुधरता — सुधार तब होता है जब Physiotherapist को सही Anatomy, Biomechanics, Pathology और Manual Skills का गहरा ज्ञान हो।

🔹 University तय करती है ज्ञान की गहराई—
      हर Physiotherapist के पीछे एक शिक्षा यात्रा होती है — वो किस University से पढ़ा है, यही उसके Clinical Thinking और Decision-making का स्तर तय करती है। किसी University में syllabus का Depth, Faculty की Expertise, Clinical Exposure, और Practical Training Quality ही किसी Physiotherapist को “therapist” नहीं, “clinical Expert” बनाती है।

      दुर्भाग्य से आज बहुत-से Engineering और Management College केवल नाम के लिए डिग्री दे रहे हैं — बिना anatomy lab, बिना cadaver study, बिना clinical posting। और यही लोग जब Hospital में नौकरी पाते हैं, तो जनता को लगता है कि “Hospital बड़ा है, तो Physiotherapist भी अच्छा ही होगा।”
लेकिन सच्चाई उलट है — University छोटी हो सकती है, पर शिक्षा सच्ची हो तो उपचार सटीक होता है।

🔹 नाम नहीं, नैतिकता और ज्ञान चाहिए—
      कई बार आप किसी बड़े hospital में जाते हैं और वहाँ का Physiotherapist आपको समझाने की बजाय मशीनों पर छोड़ देता है — ultrasound, IFT, laser, traction — बस Routine प्रोटोकॉस, लेकिन क्या उसने आपकी Posture, Gait, या Muscle Imbalance को समझा?
अगर नहीं, तो फिर Treatment भले ही 10 बार हो जाए, Recovery अधूरी ही रहेगी।
      दूसरी ओर, एक छोटा Clinic चलाने वाला लेकिन Genuinely Educated Physiotherapist, जो किसी Reputed Medical University से पढ़ा हो, आपके एक Muscle Test से ही समझ जाएगा कि Pain का Root Cause क्या है।
यही फर्क है “University Education” बनाम “Hospital Branding” का।

🔹 Patients की जिम्मेदारी — सवाल पूछिए:

आपको हर बार इलाज शुरू करने से पहले यह सवाल जरूर पूछना चाहिए —

आपका Physiotherapist किस University से qualified है?

❔उसने कहाँ से Clinical Internship की है?

❔क्या वह किसी Recognized Health University से Registered है?

❔क्या वह Manual Therapy या Advanced Course Certified है?

❌यह मत पूछिये की कौनसे Hospital में नौकरी करते हो ❗

इन सवालों से आप फिजियो का अपमान नहीं कर रहे — आप अपना स्वास्थ्य सुरक्षित कर रहे हैं।

🔹 Fake Titles और Fancy Names से बचिए—
    आज कई लोग “Dr.” शब्द जोड़कर अपने नाम के आगे “Physiotherapist” लिखते हैं, जबकि उन्होंने Non-Medical Background से केवल 3-4 साल का Basic Course किया होता है।
      कुछ Physiotherapists अपने नाम के आगे तो BPT या MPT proudly लिखते हैं, मगर उसके नीचे अपनी University का नाम छुपा लेते हैं।
     कई जगह “Hospital Tag” का इस्तेमाल करके Qualification छिपा दी जाती है — जैसे “Physiotherapist – Fortis” या “Narayana Trained Physiotherapist”।

👉लेकिन सच यह है कि Hospital किसी को Physiotherapist नहीं बनाता — University बनाती है और वो भी Medical Universitiy

🔹 Real Physiotherapy, Real Science—
     Physiotherapy कोई मशीन चलाने की कला नहीं है — यह Human Movement Science है। इसमें Diagnosis, Assessment, Biomechanics, Kinesiology, Neurology और Orthopaedics की गहराई होती है।
इसलिए जिस व्यक्ति ने इस शिक्षा को सही Medical University से सीखा है, वही आपको सही दिशा में इलाज दे सकता है।

🔹 जनता को जागरूक होना होगा—

       जब जनता खुद सवाल पूछना शुरू करेगी — “Hospital नहीं, Physiotherapist की University बताइए” — तभी system में बदलाव आएगा।  
     Colleges पर दबाव बढ़ेगा कि वे Quality Education दें, Students पर दबाव बढ़ेगा कि वे Clinical Skills सीखें, और Patients को मिलेगा सही फिजियो और इलाज।

🔹 निष्कर्ष:-

✔️Hospital का नाम केवल भवन का परिचय देता है, लेकिन Physiotherapist की University उसके ज्ञान की पहचान है।
✔️अगर आप सच में अपने शरीर को ठीक करना चाहते हैं, तो Hospital की चमक पर नहीं, Physiotherapist की शिक्षा पर भरोसा करें।

👉 याद रखिए —
“Hospital आपको सुविधा देता है,
पर Physiotherapist आपको चलना सिखाता है”

“Hospital बड़ा हो सकता है, 
लेकिन असली बड़ा वही है जिसकी University Medical है”

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