Tuesday, November 13, 2018

फिजियोथेरेपी के अंतर्गत पराबैंगनी किरणों के द्वारा ईलाज और इसके लाभ


      सूर्य की किरणों के द्वारा पराबैंगनी किरणें उत्सर्जित होती हैं । पराबैंगनी प्रकाश उच्चतम प्रकाश की आवृत्ति है , जो प्रकाश की उच्चतम आकृति पर भी अपना प्रभाव दिखती है । ये किरणें द्रवित मर्करी को उच्च ताप पर किरणें उत्सर्जित होती है , जिसे मानव आँखों द्वारा ग्रहण करने पर किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता । इन पराबैगनी किरणों को कृत्रिम स्रोत के रूप में धातु की छडों , कार्बन और क्वार्टज ट्यूब के मध्य विद्युत चाप के रूप प्राप्त करते हैं । 

पराबैंगनी किरणों से उपचार-
पराबैंगनी प्रकाश उपचार एक अदृश्य प्रकाश स्पेक्ट्रम के एक विशेष उपकरण के द्वारा त्वचा रोग और सोरायसिस और अन्य प्रकार के त्वचा रो का उपचार किया जाता है , जो कि निम्नलिखित है-
( 1 ) घाव को भरता है । 
( 2 ) संक्रमण को कम करता है । 
( 3 ) पिग्मेंटेशन आदि ( श्वेत दाग ) । 

    पराबैंगनी किरणों द्वारा अधिकतर सोरायसिस और एक्जिमा , छाजन आदि त्वचा सम्बन्धी रोगों का उपचार किया जाता है । इसमें रोगियों व त्वचा के प्रकार अनुरूप उपचार किया जाता है । अधिकतर रोगियों को 18 - 30 बार उपचार के सुधार में परिवर्तन व बदलाव किया जाता है । मरीज की त्वचा के प्रकार के आधार पर पराबैंगनी विकिरण चिकित्सा की तीव्रता अलग अलग होती है । गोरी त्वचा वाले व्यक्ति के लिए कम खुराक और साँवली त्वचा वालों के लिए अधिक खुराक या मजबूत तरीके से छोटे भाग या न्यूनतम पर्विल डोज (औषधि की मात्रा ) के ऊपर उपचार करना चाहिए । कोई नकारात्मक परिणाम न आने पर 24 घण्टे के बाद उपचार का दूसरा चरण करना चाहिए । सोरायसिस में सामान्य रूप से चार से पाँच सप्ताह के लिए तीन से पाँच बार पराबैंगनी विकिरण की कुछ मात्रा कम करनी होगी । 

उपचार का प्रभाव-  पराबैंगनी प्रकाश उपचार मुख्य रूप से गम्भीर सोरायसिस के मामलों व अन्य शरीर के किसी त्वचा के संक्रमण वाले भाग का उपचार किया जाता है । इसके अतिरिक्त विटिलिगो एटपिक की सूजन और एलर्जी से सम्बन्धित रोग , जैसे खजली लाल त्वचा और अन्य रोगों का उपचार इस विधि से किया जाता है । इसके अलावा निम्न लिखित प्रभाव भी शामिल हैं-
( 1 ) इस चिकित्सा के माध्यम से रक्त नलिकाओं में रक्त प्रवाह बढ़ता है । अत : इस उपकरण का प्रयोग करने से पूर्व इसकी तीव्रता और समय काल को ध्यान में रखना चाहिए ।
( 2 ) सूर्य की किरणों से प्राप्त विटामिन ' डी ' त्वचा में वसा संग्रहित रूप में जम जाता है। 
( 3 ) इस चिकित्सा के माध्यम से संक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है । 
( 4 ) घाव को भरने में सहायता मिलती है । 
( 5 ) पराबैंगनी किरणों की सहायता से तनाव उत्पन्न होता है । 
( 6 ) त्वचा के घाव को पराबैंगनी किरणें प्रभावित करती हैं । 
( 7 ) एन्टीबायोटिक व फोटोसेन्सेशन प्रभाव । 
( 8 ) कैंसर में बदलाव लाने के लिए इस चिकित्सा को लगभग चार सप्ताह तक उपयोग किया जाता है । पराबैंगनी किरणों का डी . एन . ए . की कोशिका पर प्रभाव पड़ता है जिससे विभाजन की प्रक्रिया कोशिकाओं में होती है । 

पराबैंगनी किरणों से सावधानियाँ - इन विकिरण के सम्पर्क के समय त्वचा की औसत या आयु कितनी होगी , इसका सही ज्ञान होना चाहिए नहीं तो त्वचा में कैंसर की बढ़ने की सम्भावना ज्यादा होगी और इस सम्भावना को दूर करना चाहिए । इस बात का विशेष ध्यान पराबैंगनी चिकित्सा के दौरान रखना होता है । त्वचा के लिए पराबैंगनी किरणें अधिक संवेदनशील होती हैं । दवाइयों का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों के प्रति इन विकिरण का विपरीत नतीजा मिलता है । पराबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार के दौरान आँखों को क्षति से बचाना चाहिए । इसके लिए उपयुक्त चश्मों का प्रयोग करना चाहिए , नहीं तो आँखों में रोग लग सकता है । यदि किसी खिलाड़ी या व्यक्ति ने उच्च तरंग लम्बाई की पराबैंगनी किरणों के नजदीक है , तो इस चिकित्सा की मात्रा अधिक हो जाती है इसलिए इस चिकित्सा को देते समय हमें सभी दिशा - निर्देशों का अनुपालन करना चाहिए ।

फिजियोथेरेपी के अंतर्गत डायाथर्मी चिकित्सा पद्दति और इसके लाभ


      डायाथर्मी एक विद्युत चिकित्सा है जिसमें विद्युत धारा प्रवाह के माध्यम से ऊष्मा उत्पन्न की जाती है । डायाथर्मी चिकित्सा में एक उच्च आवृत्ति विद्युत प्रवाह शार्टवेव , माइक्रोवेव और अल्ट्रासाउण्ड के माध्यम से वितरित किया जाता है जिससे शरीर ऊतकों में गर्मी पैदा की जाती है , रक्त प्रवाह को बढ़ाने और दर्द को दूर करने के लिए इस गर्मी का इस्तेमाल किया जा सकता है । बन्द रक्त वाहिकाओं को खोलने और असामान्य कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए सर्जिकल उपकरण के रूप में डायाथर्मी चिकित्सा का उपयोग किया जाता है । एक उच्च विद्युतीय व चुम्बकीय धाराओं के रूप में शरीर चिकित्सा के उपयोग डायाथर्मी चिकित्सा लायी जाती है । इसका उपयोग शल्य चिकित्सा में डायाथर्मी के द्वारा सूजन को कम करने और संक्रमित ऊतकों को नष्ट करने और अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने के लिए उपयोग में लाया जाता है । न्यूरोसर्जरी के द्वारा आँखों की सर्जरी में भी विशेष रूप से डायाथर्मी चिकित्सा का उपयोग किया जाता है । 

डायाथर्मी के प्रकार :
डायाथर्मी के तीन प्रकार हैं जो शारीरिक व्यावसायिक चिकित्सक द्वारा प्रयोग में लाए जाते हैं-
( 1 ) अल्ट्रासाउण्ड , ( 2 ) शार्ट वेव , ( 3 ) माइक्रोवेव 

( 1 ) अल्ट्रासाउण्ड डायाथर्मी- उच्च आकृति ध्वनि कम्पन चिकित्सा अल्ट्रासाउण्ड डायाथर्मी है , जो ऊतकों के माध्यम से गर्मी में परिवर्तित होकर कार्य करती है । जिस भाग का इलाज करना है , यह यन्त्र उस सतह पर धीरे - धीरे चलता है । अल्ट्रासाउण्ड थैरेपी के द्वारा जिस भाग का उपचार करना है , वहाँ पर ऊष्मा पैदा करने के लिए और उस भाग को ठीक करने के लिए सबसे प्रभावी उपचार है । परन्तु इस चिकित्सा को भौतिक चिकित्सक के बिना उपयोग नहीं किया जाता है और भौतिक चिकित्सक पूर्ण रूप से प्रशिक्षित और ज्ञानी होना चाहिए जिससे कि कोई खतरा या दुर्घटना की सम्भावना न के बराबर हो ।
( 2 ) शार्टवेव या अल्प तरंग डायाथर्मी — अल्प तरंग डायाथर्मी चिकित्सा एक उच्च आकृति विद्युत धारा है , जो गहरे या अन्दर के ऊतकों को ऊष्मा देते हैं अर्थात् अल्प तरंग डायाथर्मी ऊष्मा में एक ऐसा विकिरण है जिससे उच्च आकृति विद्युत धारा द्वारा अधिक गहराई में स्थित ऊतकों को ऊष्मा प्रदान की जाती है । इस विधि में विद्युत धारा बिना ज्वलनशील प्रक्रिया के गहरे ऊतकों में ऊष्मा व गर्मी के रूप में परिवर्तित हो जाती है । इसकी आकृति लगभग 27 : 35 MHz होती है । यह अपना कार्य दो परिपथ में करती है 1 . मशीन परिपथ , 2 . रोगी परिपथ ।
1. मशीन परिपथ – इस परिपथ में कन्डेन्स और एक कम ओह्न प्रतिरोधक के विद्युत प्रेरक होते हैं तथा धारा की आकृति बड़ी होती है । कन्डेन्सर को बार - बार परिवर्तित किया जा सकता है परन्तु धारा प्रतिरोधक पदार्थ डापोल्स की स्थिति को नहीं बदलते हैं और यह आण्विक दूरी इनकी विद्युत प्रतिरोधक पदार्थ बनाती है । 
2 . रोगी परिपथ – रोगी के ऊतकों के लिए इलेक्ट्रोड और कैपिसीटर का उपयोग करते हैं । इसकी क्षमता इलेक्ट्रोड के साइज और इनके मध्य पदार्थ और दूरी पर निर्भर करता है । विभिन्न क्षमता वाले कन्डेन्सरों को समायोजित किया जाता है इसलिए रोगी के परिपथ में अधिकतम शक्ति हो जाती है । शरीर कार्यकीय प्रभाव 1 / मिलियन / सेकण्ड आवेगों को 0 - 001 मिलियन / सेकण्ड समय काल के साथ उत्पन्न किया जाता है । इसमें धारा के एकान्तर क्रम में आने वाले आवेग तन्त्रिका तन्तुओं को उत्तेजित नहीं करते हैं और न ऊतकों में जलन होने देते हैं । अतः रोगी के ऊतकों में बिना किसी हानिकारक प्रभाव से इस धारा को उच्च तीव्रता से गुजारा जा सकता है । 

शार्टवेव डायाथर्मी का उपयोग व तकनीक-  कई प्रकार के इलेक्ट्रोड के प्रकारों के द्वारा ऊष्मा उत्पन्न करके चोट की स्थिति के अनुसार शार्टवेव डायथर्मी का उपयोग किया जाता है । जिस - जिस इलेक्ट्रोड का उपयोग शाटेवेव डायाथर्मी में किया जाता है , वह निम्न है , जैसे-
1 . मेन्स शी इलेक्ट्रोड – गायनोलोजिकल समस्याओं के लिए उपयोग में लाया जाता 
2 . कोप्लेनर — पैरों से समकोण आकृति द्वारा शरीर के आवश्यक भाग से इलेक्ट्रोडों के मध्य रखने पर आप्टीमम ऊष्मा मिलती है । 
3 . क्रॉस फायर विधि — इस विधि का उपयोग कुछ घटनाओं से किया जाता है , लेकिन इसमें सावधानी रखने वाली बात यह है कि मरीज आँखों में चश्मा न लगाते हों । आवश्यकतानुसार दोहरी डायाथमी को भी उपयोग में लाया जा सकता है । उदाहरण के लिए महिलाओं के पेल्विक भाग का इलाज करने के लिए।
4. केबल विधि — इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का लाभ दोनों इलेक्ट्रोडों से लेते हैं , अन्त में स्थिर विद्युत क्षेत्र को ऊष्मा से सीधे उपयोग किया जाता है जबकि इलेक्ट्रो - मैग्नेटिक फील्ड गहराई तक ऊष्मा देने में लाभदायक होती है । इसमें केबल की लम्बाई लगभग 5 मीटर तक रखते हैं । 
5.आवश्यकतानुसार- आवश्यकता व आकार के अनुसार अन्य प्रकार के इलेक्ट्रोड को समायोजित कर सकते हैं , इन्हें मेटल प्लेट इलेक्ट्रोड भी कहते हैं। यह निम्न जगह पर होती है - 1 . कन्धे की सूजन , 2 . कोहनी संयुक्त की सूजन , 3 . गर्दन के जोड़ों के अध : पतन में , 4 . घुटने और कूल्हे के जोड़ों का अपकर्ष , 5 . संयुक्त घुटने में मोच बन्धन , 6 , निचले भाग की पीठ दर्द , 7 . एड़ी का दर्द , 8 . साइनसाइटिस । 
अन्य उपयोग - 1 . रक्तस्राव , 2 . अल्सर , 3 . हीमोफिलिया , 4 . थ्रोम्बोसिस , 5 . ट्यूमर , 6 . गर्भावस्था , 7 . शिराओं में सूजन , 8 . मासिक धर्म में अतिव्यय , 9 . यूबरोक्लोसिस , 10 . पेरीफेरल वेस्कुलर रोग । 
चोट के अनुसार उपर्युक्त इलेक्ट्रोड के प्रसार और अन्य जगहों के प्रकार में ऊष्मा में विभिन्न एवं उपकरण आदि का उपयोग किया जाता है । मरीज को उपयोग में की जाने वाली विधि की जानकारी पहले ही दे देनी चाहिए । इसमें उपकरण की तीव्रता को उस समय तक बढाते हैं, जब तक मरीज को चोटग्रस्त भाग पर गर्मी या ऊष्मा महसूस न होने लगे । गहरे ऊतकों तक ऊष्मा प्रवाह के लिए चोटग्रस्त भाग के दोनों ओर इलेक्ट्रोडों को रखना चाहिए इसमें धारा घनत्व चोट सतह पर अधिक होता है । आण्विक विनाश द्वारा ऊतकों में ऊष्मा उत्पादन होता है । इसके लिए अधिकतर केबल तकनीक या कन्डेन्सर फील्ड का उपयोग करते । कन्डेन्सर फील्ड से विद्युत स्थित क्षेत्र उत्पन्न होता है । विद्युत स्थित क्षेत्र एवं चम्बकीय क्षेत्र केबल से उत्पन्न होता है । इस चिकित्सा को एक दिन छोड़कर देते हैं जिसका निर्धारित समय 20 से 30 मिनट का होता है । यह चिकित्सा तीव्र सूजन आदि लिए 5 से 10 मिनट तक दिन में दो बार दी जाती है ।
( 3 ) माइक्रोवेव डायाथर्मी या सूक्ष्म तरंग डायाथर्मी रेडियो तरंगों की आकृति में उच्च और तरंगदैर्ध्य में कम करके उपयोग में माइक्रोवेव डायाथमी लायी जाती है । माइक्रोवेव में रडार के उपयोग से 300 MHz और तरंगदैर्घ्य के कम - से - कम मीटर की आकृति होती विद्युत - चुम्बकीय वर्णक की तरंग लम्बाई वाली सूक्ष्म तरंगों को प्रयोग इस डायाथर्मी की विधि में लाते हैं । डेसीमीटर तरंगों के रूप में इन सूक्ष्म तरंगों को जाना जाता है । इन तरंगों की तरंग लम्बाई 12 . 25 सेमी तथा आकृति 2400 मेगा चक्र / सेकण्ड ( MHz ) होती है । इनका उपयोग सीधा करते हैं । इन्हें मोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती है , क्योंकि इसके सर्किट के पास व्यक्ति नहीं होता है । इन किरणों को ग्रहण करने वाले वृत्तीय या समकोणीय रह सकता यह वत्तीय तरीके से स्थित है , तो इनके प्रभाव की मात्रा एक तरफ होगी यदि समकोणीय है तो इन किरणों का प्रभाव केन्द्र में अधिक होगा । इन तरंगों से इलाज कराने वाला व्यक्ति 10 से 20 सेमी दूरी पर रहता है । यदि इलाज कराने वाला व्यक्ति उत्तल है किरणे अधिक गहराई तक भेदन करेंगी । वैसे इस सूक्ष्म डायाथर्मी की भेदना गहराई 3 सेमी तक होती है । इसे उपयोग करने का समय 10 / 30 मिनट / दिन होता है तथा धारा प्रवाह 200 वाट किया जाता है । अधिक गहरे ऊतकों के ऊष्मा को विद्युत चुम्बकीय विकिरण इस सूक्ष्म तरंग डायाथर्मी परिवर्तित प्रक्रिया द्वारा उपयोग किया जाता है । वे ऊतक जिनमें पानी की मात्रा अधिक है , इन किरणों को अवशोषित कर लेती है , लेकिन हड्डियों में पानी की कमी होने से देरी से अवशोषित करती है । ऊतकों में 900 MHz से अच्छा भेदन होता है । 2500 MHz से केवल ऊष्मा अपत्वचीय ऊतकों में की जा सकती है । इसके द्वारा ऊतकों से उत्पन्न ऊष्मा विकिरण द्वारा अवशोषण के बाद ऊतकों में संचालित होती है । ऊतकों के घाव भरने में यह डायाथर्मी वेस्कुलर अधिक सहायक है । इसका उपयोग माँसपेशी में किया जाता है । माँसपेशीय चोटों के लिए यह डायाथर्मी अधिक प्रभावशाली और लाभकारी । रक्त परिसंचरण को बनाने में भी यह सहायक होती है । 
माइक्रोवेव तकनीक- माइक्रोवेव डायाथर्मी में रोगी उपकरण के पास चोटग्रस्त भाग को लाकर कुछ देर तक इन्तजार करते हैं । चोटग्रस्त भाग की गति इस ( इलाज ) के दौरान नहीं करनी चाहिए । तीव्र स्थिति में किरणों को कम मात्रा में देना चाहिए । 

माइक्रोवेव डायाथर्मी उपचार का प्रभाव – एक विद्युत प्रवाह का उपयोग माइक्रोवेव डायाथर्मी करती है । इसका उपयोग किसी भी गहरे ऊतकों के अन्दर ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है । यह त्वचा की सतह से दो इंच गहरे भाग तक ही पहुँचा सकती है । डायाथर्मी मशीन तकनीक लगभग शरीर के लिए सीधे लागू नहीं होती । इसके बजाय वर्तमान शरीर को मशीन द्वारा निशाना बनाया जा सकता है इसके अतिरिक्त कई अन्य कारण हैं जिसको इसमें एडिट करना चाहिए-
( 1 ) ये किरणें जल द्वारा शीघ्रता से अवशोषित कर ली जाती हैं । अत : माँसपेशी चोटों के लिए यह उपचार अधिक लाभकारी है । अतः यह वसा को कम ऊष्मा प्रदान करता है और माँसपेशियों को अधिक ऊष्मा प्रदान करता है । 
( 2 ) माँसपेशी ऐंठन को कम करती है । 
( 3 ) रक्त परिसंचरण को बढ़ाती है । 
( 4 ) तन्त्रिका तन्तु नर्व एडिंग में दर्द बढ़ाता है । 
( 5 ) आँखों के लिए बहुत हानिकारक है । 
( 6 ) बैक्टीरिया संक्रमण से बचाती है । 
( 7 ) ट्रामेटिक और रेहमेटिक परिस्थितियों में अधिक दर्द होता है । इसका इलाज अच्छी तरह व प्रभावी ढंग से किया जाता है ।
सावधानियाँ – 
( 1 ) इसका उपयोग बढ़ती हुई हड्डी के पास नहीं करना चाहिए । 
( 2 ) तापीय संवेदना की क्षति अधिक क्षेत्र में होती है । 
( 3 ) इसका उपयोग आँखों के पास नहीं करना चाहिए । 
( 4 ) इसका उपयोग गोनाड ( Gonad ) के पास नहीं करना चाहिए । 
( 5 ) इसका उपयोग रक्तस्राव में नहीं करना चाहिए । 
( 6 ) इस उपचार को करते समय आँखों का विशेष ध्यान रखना चाहिए । 
( 7 ) इसका उपचार त्वचा की सही जाँच हो जाने के बाद ही करना चाहिए ।

सामान्य सावधानियाँ और जहाँ इसका उपयोग नहीं करना है-
( 1 ) तेज बुखार । 
( 2 ) अस्थिर रक्तचाप । 
( 3 ) बहुत ही संवेदनशील त्वचा ।
( 4 ) घातक कैंसर । 
( 5 ) क्षय रोग वाली अस्थि । 
( 6 ) मानसिक रूप से मन्द व्यक्तियों की । 
( 7 ) गर्भवती महिलाएँ । 
( 8 ) गुर्दे व हृदय की समस्याएँ । 
( 9 ) वह व्यक्ति जो कार्डियक पेसमेकर उपयोग करता हो । 
( 10 ) इलाज जिस पर फिट नहीं बैठता ।

Monday, November 12, 2018

फिजियोथेरेपी के अंतर्गत विद्युत चिकित्सा पद्दति और इसके लाभ


     फिजियोथेरेपी के अंतर्गत उपचार के रूप में इलैक्ट्रोथैरेपी में विद्युत ऊर्जा का उपयोग किया जाता है । इलैक्ट्रोथैरेपी का उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में कई प्रकार के इलाजों में किया जा सकता है , इसे विद्युत चिकित्सा भी कहते हैं । विद्युत चिकित्सा मुख्य रूप से माँसपेशियों में ऐंठन , रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के लिए , माँसपेशियों में उत्तेजना को बनाए रखने और गति की सीमा बढ़ाने में वृद्धि के लिए और पुरानी तथा पेचीदा दर्द के प्रबन्धन , घाव के तीव्र दर्द , पोस्ट सर्जिकल तीव्र दर्द , घाव भरने और तत्काल शल्य चिकित्सा के रूप में किया जाता है । इन्फ्रारेड किरणें मुलायम ऊतकों की चोट के लिए इस चिकित्सा विधि का उपयोग किया जाता है , विशेषकर जब तक मुलायम ऊतक की चोटों से सूजन खत्म नहीं हो जाती है । इस विधि में विद्युत - चुम्बकीय तरंगों का उपयोग किया जाता है । इसमें किरणों की तरंगों की लम्बाई 40 लाख ऐम्पियर से 7700 प्रदान करने वाले उपकरण से यह किरणें ली जाती हैं , जैसे — सूर्य , विद्युतीय हीटर आदि । इन्फ्रारेड लैम्प का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है । यह किरणें जिससे प्रकाशित होकर स्वयं उत्सर्जित होती हैं , इसका उपयोग रोज 10 - 20 मिनट तक चोटग्रस्त भाग पर किया जाना चाहिए । अगर इन किरणों को 90 डिग्री कोण से त्वचा पर डाला जाए तो सबसे अधिक प्रभावी होता है । यह किरणें दो प्रकार के उपकरणों से निकलती हैं — ( 1 ) अप्रकाश युक्त उपकरण , ( 2 ) प्रकाशयुक्त उपकरण ।

इन्फ्रारेड किरणों के साथ चिकित्सा उपचार:
( 1 ) चयापचय – चयापचय जीवन समर्थन प्रक्रिया है । शरीर में कई तरह के पदार्थ का आदान - प्रदान जिसके द्वारा होता है । इस प्रक्रिया को इन्फ्रारेड किरणे सुचारु रूप सक्रिय कर देती हैं । 
( 2 ) रक्त परिसंचरण – रक्त परिसंचरण में यह किरणें सुधार लाती हैं और इस संस्था की मजबूत और अपशिष्ट पदार्थों और हानिकारक वसा को समाप्त कर सकते हैं । 
( 3 ) उच्च रक्तचाप- उच्च रक्तचाप और धमनी काठिन्य मध्यम आयु वर्ग के लोगों हृदय रोग और गुर्दे की परेशानी का मुख्य कारण होते हैं । रक्त परिसंचरण में सुधार से रक्तचाप को कम करने में सहायता करती है । ऊष्मीकरण के प्रभाव से स्वत : तन्त्रिका प्रणाली काफी हद तक इसमें मदद करती है । 
( 4 ) निम्न रक्तचाप – व्यक्ति को थकान व लगातार चक्कर आना कम रक्तचाप के लक्षण हैं । इस स्थिति में आराम और पर्याप्त नींद के अतिरिक्त अन्य कोई इलाज नहीं । फिर भी आप इस परेशानी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इन्फ्रारेड किरण की गर्मी से उपचार के दौरान पसीने को बढ़ावा देने से इसे सामान्य करने के लिए मदद मिलती है । 
( 5 ) कैंसर की रोकथाम- हर व्यक्ति के शरीर में कुछ स्वस्थ कोशिकाओं के बीच में कैंसर की कोशिकाएँ मिश्रित होती हैं । यह माना जाता है कि यदि हम कमजोरी की स्थिति में अधिक खाने से और थकान में हैं तो हानिकारक खाद्य उत्पादों का उपयोग व संचय करने से कैंसर की सम्भावना हो सकती । स्वस्थ कोशिका को नुकसान पहुँचाए बिना इन्फ्रारेड किरणों के द्वारा कमजोर कैंसर की कोशिकाओं को समाप्त किया जा सकता है ।  
( 6 ) मधुमेह - चयापचय समस्याओं के कारण मधुमेह रोग होता है , इसका परिणाम तत्काल नहीं मिलता । यह रोग भी इन्फ्रारेड किरणों के कारण आने वाले पसीने से धीरे - धीरे कम करके इसके लक्षणों को कम करने में बहुत उपयोगी होती है । | 
( 7 ) रजोनिवृत्ति — चक्कर आना , सिर में दर्द और घबराहट महसूस करना जैसे लक्षण को , जब किसी महिला की उम्र 40 - 50 वर्ष की हो जाती है , तब अनुभव करती है । लेकिन लक्षण इन्फ्रारेड किरण चिकित्सा के साथ - साथ समय की छोटी - सी अवधि के भीतर मुक्त किया जा सकता है । 
( 8 ) तनाव - लाखों लोगों की मृत्यु तनाव के कारण साल - दर - साल बढ़ती रही है सरल तनाव का परिणाम कई प्रकार की बीमारियाँ हैं । इन्फ्रारेड वेव किरणों के द्वारा तनाव को बहुत कम या खत्म किया जा सकता है और इसके उपयोग से पसीना निकलने और आराम करने से शारीरिक व मानसिक रूप से अपने को तनाव मुक्त कर सकते हैं , जिससे यह शरीर को अच्छा अनुभव करवाता है अर्थात् शरीर में स्फूर्ति व ताजगी का अनुभव होता है । 
( 9 ) यातायात दुर्घटनाओं के शिकार दुर्घटना से ग्रसित व्यक्तियों को स्वातन्त्र्य तन्त्रिका तन्त्र को नुकसान से बचने के लिए नकारात्मक आयन उपचार बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है । आयन उपचार स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र के लिए सन्तुलित बनाए रखने के लिए सबसे लाभकारी उपाय है ।

इन्फ्रारेड किरणों से लाभ: 
( 1 ) हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ संरक्षण देकर प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार लाती है । | 
( 2 ) शरीर रक्षा प्रणाली के सुधार में वृद्धि कर कैंसर जैसे रोग की कोशिकाओं को रोकती है । 
( 3 ) इन्फ्रारेड किरण से ध्वनि काठिन्य के प्रभाव और वसा के गठन को रोकने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है । 
( 4 ) व्यक्ति के दर्द को कम करने व आराम देने में मदद करती है । 
( 5 ) त्वचा एवं ऊतकों में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है । 
( 6 ) इस विधि से दीप्तिमान ऊर्जा को अवशोषित कर ऊष्मा का उत्पादन किया जाता है । 
( 7 ) वृहत् क्षेत्रों में तापीय त्वचा संवेदना की क्षति होती है । 
( 8 ) चयापचय बढ़ता है , जिसका सीधा सम्बन्ध ऊर्जा से है और ऊर्जा का सम्बन्ध ऊष्मा से है जिससे शरीर के ताप को बढ़ाने में सहायता मिलती हैं । 
( 9 ) इसके अतिरिक्त इन्फ्रारेड किरणों के द्वारा कई अन्य बीमारियों को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है जिनमें निम्नलिखित हैं - गठिया , लकवा , मधुमेह , लाइम एकाधिक काठिन्य और धमनी की सख्य प्रगतिशीलता आदि ।

फिजियोथेरेपी के अंतर्गत ऊष्मीय चिकित्सा पद्दति और इसके लाभ


      गर्म चिकित्सा को भी ऊष्मीय चिकित्सा कहते हैं । इस चिकित्सा में गर्मी को ऊष्मा के रूप में प्रयोग करते हैं अर्थात् गर्म पानी के भौतिक गुण का प्रयोग किया जाता है । इसे हम इस तरह कह सकते हैं कि इस चिकित्सा द्वारा किसी भी चोटग्रस्त भाग के दर्द से राहत व स्वास्थ्य के लिए गर्मी का उपयोग करते हैं । इस चिकित्सा में किसी गर्म कपड़े , गर्म पानी की बोतल , अल्ट्रासाउण्ड , हीटिंग पैड , जल कोलेटर पैक भंवर स्नान , तार रहित प्राथमिक गर्मी चिकित्सा का उपकरण और अन्य तरीकों से इसका उपयोग किया जाता है । यह चिकित्सा उन व्यक्तियों व खिलाड़ियों के लिए लाभदायक है जिसे गठिया और कड़ी माँसपेशियों और चोट लगे घावों के गहरे ऊतकों को आराम व उपचार किया जाए । स्वयं की देखभाल से सन्धियों से सम्बन्धित रोगों के लिए गर्म व ऊष्मीय चिकित्सा के द्वारा उपचार करना एक अच्छा तरीका है । जोड़ों के मुलायम ऊतकों की मरम्मत करने के लिए ऊष्मीय चिकित्सा के द्वारा चिकित्सा की जाती है । गर्म चिकित्सा और ठण्डी के सामंजस्य से मस्क्युलोस्केटेटल और कोमल ऊतकों की चोटों के इलाज के लिए भी यह उपयोगी है इस चिकित्सा के द्वारा जोड़ों और माँसपेशियों के दर्द के साथ - साथ रक्त प्रवाह , सूजन और । संयोजी ऊतक की विस्तारशीलता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । हम स्वयं घर पर ही इन उपचार की विधियों को आसानी से कर सकते ।


     हीट थैरेपी सबसे अधिक पुनर्वास प्रयोजनों के लिए प्रयोग में लाई जाती है । यह चिकित्सा ऊतकों की विस्तारशीलता और दर्द को कम करने , माँसपेशियों की ऐंठन से राहत , सूजन के साथ - साथ एड्स को कम करने और रक्त प्रवाह को बढाती है । चोटग्रस्त व प्रभावित अंग के लिए बढ़ी हुई रक्त प्रवाह के कारण बेहतर उपचार के लिए प्रोटीन , खनिज तत्व , पोषण तत्व और ऑक्सीजन को पहँचती है । नम गर्मी चिकित्सा , सूखी गर्मी से , गर्म ऊतकों पर और अधिक प्रभावी मानी जाती है क्योंकि पानी का स्थानान्तरण हवा की तुलना में अधिक तेजी से काम करता है । थर्मोथैरेपी या गर्मी चिकित्सा का उपयोग सिरदर्द और माइग्रेन के उपचार के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है । थर्मोथैरेपी में कुछ स्थितियों के लक्षणों में सुधार करने के लिए कोमल ऊतकों के त्वचीय , अन्त : लेखीय व मुख्य तापमान को बदलने के लिए गर्म एवं ठण्डी चिकित्सा का उपयोग होता है । 




     थर्मोथैरेपी चिकित्सा पेशीय कंकाल की चोटों व कोमल ऊतकों की चोटों के लिए बहुत उपयोगी अनुबद्ध है । कई ऐसे लोग हैं जो पुराने सिरदर्द और गर्दन , पीठ के ऊपरी हिस्से की तंग माँसपेशियों से पीड़ित हैं , उन व्यक्तियों गई चिकित्सा के द्वारा माइक्रोवेव पेड का इस्तेमाल करके सम्बन्धित क्षेत्रों के दर्द को कम किया जाता है । कुछ नवीन उपकरणों के द्वारा भी पानी को गर्म करके उपयोग में लाने के बाद निरन्तर तापमान को बनाए रखने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है । सिर के दर्द के मरीजों को दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए इस चिकित्सा का उपयोग किया जाता है । 




चिकित्सकीय लाभ- थर्मोचिकित्सा लचीले ऊतकों की विस्तारशीलता में वृद्धि करती है । ऊष्मा का उपयोग करके अलग - अलग ढंग से जोड़ों की जकड़न को दूर करती है। शार्टवेब और माइक्रोवेब ऊष्मा के द्वारा माँसपेशियों की ऐंठन को कम करती है। साथ ही यह कठोर माँसपेशियों के खिंचाव विकिरणों के साथ संयोजन करके कैंसर के इलाज लिए प्रयोग किया जाता है । 




मनोवैज्ञानिक प्रभाव - इसका अध्ययन करने से यह ज्ञात होता है कि मनोवैज्ञानिक धारणा के अनुसार गर्मी और ठण्ड का कुछ - न - कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता है । उदाहरण के लिए , बढ़ी हुई गर्मी के कारण त्वचा और जोड़ों का तापमान भी बढ़ जाता है और इसके साथ रक्त प्रवाह भी बढ़ जाता है और माँसपेशियाँ भी आराम अवस्था को महसूस करती हैं जोड़ों की कठोरता कम हो जाती है । मनोवैज्ञानिक रूप से इन सभी से शरीर अंगों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है जिसकी सहायता से रोगी जल्दी अच्छा होने लगता है । ठीक इसी प्रकार माँसपेशी फाइबर के लिए अल्फा फायरिंग में कमी और माँसपेशियों में टोन के परिणाम स्वरूप होती है ।

Wednesday, November 7, 2018

भौतिक चिकित्सा का महत्व और इसके सिद्धांत


भौतिक चिकित्सा का महत्व

        अध्ययन और अनुभव से साबित होता है कि भौतिक चिकित्सा चोटों और दर्दो के लिए प्रमुख और प्रभावी भौतिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण उपाय है , इसलिए कह सकते हैं कि दर्द एक समस्या है तो भौतिक चिकित्सा समाधान है । इसलिए दर्द और चोटों के इलाज के लिए भौतिक चिकित्सा कभी भी गलत साबित नहीं हो सकती है । इसलिए फिजियोथैरेपी की मदद संयुक्त जटिल समस्याओं के लिए ली जाती है । फिजियोथैरेपी का सहारा किसी भी अंग विकृति के खतरे के उपचार में भी लिया जाता है । कई तरह की बीमारियाँ व विकृतियाँ आज के आधुनिक युग में फैली नजर आती हैं और इसी तरह इन विकृतियों व बीमारियों का उपचार व इलाज भी किया जाता है । लेकिन इन सब इलाजों में सबसे प्राचीन व उत्तम स्तर का उपचार प्रबन्धन फिजियोथैरेपी करती ; शरीर के व्यायाम के साथ - साथ अन्य कई प्रकार की प्रक्रियाएँ फिजियोथैरेपी में शामिल हैं । जैसे मालिश , गर्म चिकित्सा , ठण्डी चिकित्सा , स्नान आदि । पेशियों में गतिहीनता से छुटकारा पाने तथा कई अन्य गम्भीर समस्या को भी फिजियोथैरेपी द्वारा अच्छी तरह से ठीक किया जाता है । दर्द निवारक दवाइयों के इफेक्टों से बचने के लिए व चोटों , दर्द के लिए भौतिक चिकित्सा सर्वोत्तम तकनीक व उपाय है । इसलिए भौतिक चिकित्सा के महत्व को नकारा नहीं जा सकता । फिजियोथैरेपी न केवल दर्द व चोटों से मुक्ति दिलाती है , बल्कि भविष्य में होने वाली अन्य बीमारियों से भी बचाती है । भौतिक चिकित्सा के महत्व को स्वास्थ्य चिकित्सक व खिलाड़ी स्वीकार करते हैं । भौतिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण लाभ यह भी है कि ऑक्सीजन व साँस से सम्बन्धित बीमारियाँ , जैसे — खाँसी , कम्पन आदि की भी फिजियोथैरेपी तकनीक के माध्यम से दूर किया जाता है । उदाहरण के तौर पर क्यूपिड तकनीक , हाथों का घर्षण , ताली बजाना आदि तकनीकों से इसका महत्व साबित किया जाता है । वाहन दुर्घटनाओं व चक्कर आना , सुन्न कन्धे व गर्दन , कमर की माँसपेशियों में दर्द के कारणों के निवारण के लिए डॉक्टर भी फिजियोथैरेपी की सलाह देते हैं । इसमें वह पुनर्वास के लिए कई भिन्न - भिन भौतिक तकनीकों का उपयोग करते हैं इसलिए भौतिक चिकित्सा सर्वाधिक हो गया ।
        यदि कोई रोगी स्ट्रोक या पार्किंसंस जैसी बीमारियों से पीड़ित है तो उन रोगियों के लिए फिजियोथैरेपी एक उत्तम उपाय है । हृदय रोगियों की सर्जरी के बाद फिजियोथैरेपिक तकनीक का उपयोग किया जाता है , जो एक निर्देशित अभ्यास के बाद किया जाता है , जिससे रोगियों में सुधार तथा उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है । पुराने दर्द और नई चोटों के लिए फिजियोथैरेपी अपने आप में गुणवत्ता तथा दर्द में सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इसलिए दैनिक जीवन में सुधार के लिए फिजियोथैरेपी करते रहना चाहिए । भौतिक चिकित्सा का उपचार स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होता है इसलिए आज के युग में किसी भी व्यक्ति के लिए पुनर्वास के समय भौतिक चिकित्सा का ज्यादा उपयोग करते हैं । इसमें अधिकतर खिलाड़ी व दुर्घटना से ग्रसित व्यक्ति व मानसिक रूप से ग्रसित और हृदय सम्बन्धी रोगी फिजियोथैरेपी का फायदा ज्यादा लेते हैं । अत : हम कह सकते हैं कि आज के इस आधुनिक युग में फिजियोथैरेपी का एक विशेष महत्वपूर्ण स्थान है।

भौतिक चिकित्सक के लिए फिजियोथैरेपी के मार्गदर्शक सिद्धांत
  1. सभी अधिकारों और पदों का व्यक्तिगत तौर से भौतिक चिकित्सक द्वारा सम्मान करना । सभी व्यक्तियों के लिए भौतिक चिकित्सक के अधिकार समान होने चाहिए । किसी भी प्रकार की सेवाएँ देने के लिए आयु , लिंग , जाति , राष्ट्रीयता , धर्म , रंग , यौन , अभिविन्यास , विकलांगता , स्वास्थ्य स्थिति या राजनीति की परवाह किए बिना सेवा का अधिकार रखते हैं । उसमें निम्न बातें होनी चाहिए- अच्छी गुणवत्ता की सेवाएँ , जानकारी , सूचित सहमति , गोपनीयता , डेटा तक पहुँच , स्वास्थ्य शिक्षा , जो चुनना चाहे , यदि भौतिक चिकित्सक सुनिश्चित किये गये व्यवहार सम्बन्धी जानकारी ग्राहक तक नहीं पहुँचाता है तो वह इसके लिए स्वयं जिमेदार है । भौतिक चिकित्सक साथियों से सहयोग रखने उम्मीद का अधिकार रखते हैं और उनका सहयोग कर सकते हैं 
  2. भौतिक चिकित्सक जिस देश में अपनी सेवाएँ दे रहा है या प्रदान कर रहा है , उसे उस देश के चिकित्सा सम्बन्धी कानुनी नियमों तथा वहाँ की गवर्निग की पूरी जानकारी व समझ होना आवश्यक है 
  3. यदि ग्राहक चाहे तो भौतिक चिकित्सक ध्वनि व संगीतबद्ध व्यायामों के लिए स्वतन्त्र रूप से उपयोग कर सकता वरना उसे ग्राहक के हक में ही सेवाएँ प्रदान करनी होंगी । सेवाओं के प्रावधान के भौतिक चिकित्सक स्वतन्त्र रूप से निर्णय ले सकता है , जिनके लिए वह ज्ञान व कौशल का पूर्ण प्रदर्शन करता हैं । चिकित्सक रोगी के निदान के लक्ष्यों की आवश्यकतानुसार बदलाव या परिवर्तन कर सकता है । यदि भौतिक चिकित्सक किसी भी प्रकार से रोगी का उपचार करने में सक्षम नहीं है तो वह अन्य योग्य चिकित्सक के पास रेफर कर सकता है।
  4.  भौतिक चिकित्सक को ईमानदार , सक्षम और जवाबदेह होना चाहिए । भौतिक चिकित्सक सुनिश्चित रोगियों को विशेष रूप से प्रत्याशित लागत और वित्तीय समझ की सेवा व प्रकृति प्रदान करने वाला होना चाहिए । भौतिक चिकित्सक एक सतत योजनाओं पर आधारित डिजाइन कार्यक्रमों और पेशेवर ज्ञान और कौशल बढाने के लिए होना चाहिए । रोगी व ग्राहक की अनुमति या पूर्व ज्ञान के बिना किसी तीसरे पक्ष को किसी भी प्रकार की जानकारी का खुलासा नहीं करना चाहिए । भौतिक चिकित्सक पर्याप्त डेटा अपनी सुविधा के लिए तैयार करता है । भौतिक चिकित्सक को यदि जरूरत हो तो राष्ट्रीय भौतिक चिकित्सा संघ की सहायता की माँग रोगी / ग्राहक को सुधारने के लिए कर सकता है । भौतिक चिकित्सक को किसी भी प्रकार की सेवाओं का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं होगी ।
  5. भौतिक चिकित्सक गुणवत्ता सेवाएँ प्रदान करने के लिए और वर्तमान स्वीकार मनकों और गतिविधियों को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है । भौतिक चिकित्सक ज्ञान को बढाने के लिए और शिक्षा क्षेत्र में भाग लेने के लिए भी प्रतिबद्ध है । अनुसंधान के सुधार और रोगी व ग्राहक सेवाओं के लिए योगदान का समर्थन भौतिक चिकित्सक करेगा । शैक्षिक और नैदानिक सेटिंग में गुणवत्ता की शिक्षा का भी समर्थन भौतिक चिकित्सक करेगा । यह सुनिश्चित करेगा कि वर्तमान में भौतिक अनुसंधान नियमों और नीतियों तथा मानव विषयों पर अनुसंधान के आचरण को लागू करने का पालन भौतिक चिकित्सक करेगा । जैसे विषयों की सहमति , विषय गोपनीयता सुरक्षा और विषयों की भलाई , धोखाधड़ी और साहित्यिक चोरी का अभाव , पूर्ण स्पष्टीकरण के प्रदर्शन का समर्थन । सभी कर्मचारियों व अधिकारी विधिवत् योग्य हो , यह भी भौतिक चिकित्सक सुनिश्चित करें । सांविधानिक आवश्यकताओं के साथ अनुपालन सुनिश्चित करने व सेवा संचालन के लिए वर्तमान प्रबन्धन के सिद्धान्तों और प्रथाओं को लागू करें । कार्मिक प्रबन्धन के उचित मानकों का विशेष रूप से ध्यान दिया जाए । 
  6. भौतिक चिकित्सक निष्पक्ष सेवाओं के पारिश्रमिक के हकदार होते हैं किन्तु यह सुनिश्चित होना चाहिए कि उनका अपना शुल्क उचित स्तर पर आधारित हो । भौतिक चिकित्सक को तीसरे पक्ष शुल्क कार्यक्रम के आधार पर या सरकारी प्रयासों और निश्चित दति का प्रयास होना चाहिए । व्यक्तिगत लाभ के लिए अनुचित प्रभाव का उपयोग भौतिक चिकित्सक नहीं करेगा ।
  7. रोगियों / ग्राहकों व अन्य एजेन्सियों को शारीरिक थैरेपी के बारे में समुदाय के लिए । भौतिक चिकित्सक सटीक जानकारी प्रदान करते हैं । भौतिक चिकित्सा के कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए सार्वजनिक शिक्षा के बारे में भौतिक चिकित्सक जानकारी प्रदान करते हैं अपनी सेवाओं की विज्ञापित भौतिक चिकित्सक कर सकते हैं । झुठी , धोखाधड़ी , भ्रामक अनुचित या सनसनी खेज बयान या दावा का उपयोग भौतिक चिकित्सक नहीं कर सकता जो अपनी पेशेवर स्थिति के लिए लागू है , केवल उन दावों व बयानों का वर्णन भौतिक चिकित्सक करेगा ।
  8.  भौतिक चिकित्सक , योजनाओं और सेवाओं को अपने कर्तव्यों और दायित्वों का पालन करते हुए स्वास्थ्य जरूरतों की ओर विशेष ध्यान देते हुए उनके विकास में योगदान देंगे , सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान की ओर भौतिक चिकित्सक को बाध्य रहना होगा । 

भौतिक चिकित्सक की . भौतिक चिकित्सा विश्व परिसंघ से भी उम्मीद है-
  1. अधिकारों और सभी व्यक्तियों की गरिमा का सम्मान । 
  2. जिस देश में भौतिक चिकित्सा का अभ्यास का कार्यक्रम हो , वहाँ के कानूनों व नियमों का अनुपालन । 
  3. व्यायाम के लिए सही फैसले की जिम्मेदारी को निभाना । 
  4.  ईमानदार , सक्षम और जवाबदेह पेशेवर सेवाएँ प्रदान करना । 
  5.  गुणवत्ता की सेवा प्रदान करना । 
  6. उनकी सेवाओं के लिए निष्पक्ष स्तर पर उन्हें पारिश्रमिक का हक दिलाना ।
  7. रोगियों के लिए सटीक जानकारी प्रदान करना जिससे भौतिक चिकित्सा का स्तर ऊँचा बन सके ।
  8. जिस समुदाय को स्वास्थ्य की आवश्यकता हो , उन्हें योजनाओं और सेवाओं को प्रदान करना।
डॉ. बृजेश कुमार बंसीवाल
एम.पी.टी. (आर्थोपेडिक)
मुख्य फिजियोथेरेपिस्ट
पिंकसिटी फिजियोथेरेपी और रिहैबिलिटेशन सेंटरपृथासावी हॉस्पिटल, जगतपुरा रेलवे फ्लाईओवर ब्रिज के पास,  जगतपुरा, जयपुर
मोबाइल: 9414990102

वेबसाइट: www.pinkcityphysio.com

Monday, May 7, 2018

डॉ. बृजेश कुमार बंसीवाल (फिजियोथेरेपिस्ट) एक परिचय

डॉ. बृजेश कुमार बंसीवाल जगतपुरा में स्थित पृथासावी हॉस्पिटल में कार्यरत हैं। यहाँ पर फिजियोथैरेपी डिपार्टमेंट है जिसका नाम पिंकसिटी फिजियोथेरेपी और रिहैबिलिटेशन सेंटर है। यह अस्पताल जगतपुरा में मुख्य सड़क जगतपुरा रेलवे फ्लाईओवर के पूर्वी छोर पर स्थित है और इनकी एक ओर फिजियोथेरेपी की शाखा प्रताप नगर सेक्टर 3, हल्दीघाटी मार्ग, टोंक रोड पर स्थित है। डॉ. बृजेश कुमार बंसीवाल को सत्र 2022 में महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सीतापुरा, जयपुर से मास्टर ऑफ फिजियोथेरेपी (ऑर्थोपेडिक) की उपाधि प्रदान की गई, तथा इससे पहले सत्र 2013 में इन्होंने राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर से बेचलर ऑफ फिजियोथेरेपी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. बृजेश कुमार बंसीवाल ने अपनी प्रेक्टिस के दौरान हड्डी और मांसपेशियों की तकलीफ से पीड़ित मरीजों का ईलाज किया। डॉ. बंसीवाल ने अपनी प्रेक्टिस के दौरान ऐसे मरीज भी देखे जो वर्षों से गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटने का दर्द और लकवा आदि से पीड़ित थे, परंतु क्रॉनिक कंडीशन के बाद में भी उन मरीजों को कहीं से भी सही परामर्श और मार्गदर्शन नहीं मिला। अंत में उन मरीजों को डॉ. बंसीवाल ने उचित फिजियोथैरेपी चिकित्सा पद्धति से ठीक किया और उन्हें पूर्णतया आराम दिलाया। डॉ. बंसीवाल ने अपनी प्रैक्टिस के दौरान ऑर्थोपेडिकन्यूरोलॉजी और स्पोर्ट्स इंजरी के मरीज देखें और उनका निदान भी किया। डॉ. बंसीवाल ने बहुत कम समय में फिजियोथेरेपी प्रेक्टिस के दौरान उन मरीजों की फिजिकली प्रॉब्लम्स के कारण जो मानसिक अवसाद से घिर चुके थे, उनको भी सही ईलाज करके मानसिक अवसाद से बाहर निकाला जो अपना ईलाज सही से नहीं करवा सके थे| प्रक्टिस के दौरान ऐसे मरीज भी देखें जो लकवा या सिर की गंभीर चोट के कारण अपने शरीर की सम्पूर्ण ताकत खो चुके थे, परंतु डॉ. बंसीवाल के फिजियोथेरेपी ईलाज के बाद आज वे लोग अपनी दैनिक क्रिया के सारे काम स्वयं करते हैं "
    भौतिक साधनों के प्रयोग से शारीरिक व्याधियों का उपचार करने की विधि को फिजियोथेरेपी या भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) कहते हैं। व्यायाम के जरिए मांसपेशियों को सक्रिय बनाकर किए जाने वाले ईलाज की कलाभौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) या फिजियोथेरेपी या 'फिजिकल थेरेपी' ( Physiotherapy ) कहलाती है। चूंकि इसमें बहुत कम दवाईयाँ लेनी पडतीं इसलिए इनके दुष्प्रभावों का प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि फिजियोथेरेपी तब ही अपना असर दिखाती है जब इसे समस्या दूर होने तक नियमित किया जाये।
    अगर शरीर के किसी हिस्से के जोड़ व मांसपेशियों में दर्द है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। फिजियोथेरेपी की सहायता लेने पर आप बहुत कम दवा का सेवन करके भी अपनी तकलीफ दूर कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए केवल फिजियोथेरेपिस्ट फिजियोथेरेपिस्ट की ही सलाह अत्यंत आवश्यक है।
     फिजियोथेरेपी  का मतलब जीवन को पहचानना और उसकी गुणवत्ता को बढना है, साथ ही साथ लोगों को उनकी शारीरिक कमियों से बाहर निकालना, निवारण, ईलाज बताना और पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर बनाना हैं। भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक क्षेत्र में अच्छी तरह से काम करने में मदद देता हैं। फिजियोथेरेपी  में डाक्टर, भौतिक चिकित्सक, मरीज, पारिवारिक लोग और दूसरे चिकित्सको का बहुत योगदान होता हैं।
भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) क्या है?  यह एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें रोगी का ईलाज कम दवा के भी भौतिक वस्तुओं, मशीनों व व्यायाम द्वारा किया जाता है। इसमें बिजली से लेकर लेजर तक कई साधनों का उपयोग होता। आज वर्तमान में यह बहुत विकसित विज्ञान का रूप ले चुका है। इसमें ध्यान रखने योग्य बात यही है कि किसी अनुभवी फिजियोथेरेपिस्ट से ही फिजियोथेरेपी करानी चाहिए। जरा सी लापरवाही और देरी के कारण हमें जिंदगी भर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) का इतिहास क्या है ?  दूसरे विश्व युद्ध के पीडि़त फौजियों व आमजन के पुनर्वास के लिए वैज्ञानिकों द्वारा इस पद्धति की खोज की गई। भारत में सन 1962 से इसका विकास आरंभ हुआ। सभर के दशक में इसकी पढ़ाई शुरू हुई जबकि अस्सी के दशक में इसका बहुत तेजी से विकास हुआ। औपचारिक शिक्षा के नाम पर पहले डिप्लोमा प्रारंभ हुआ। परन्तु कुछ समय बाद डिप्लोमा बंद कर दिया गया। इसलिए इसकी डिग्री भी पाँच साल की कर दी गई।
इस पद्धति में किन-किन बीमारियों का समाधान है ?  बदलती जीवनशैली के कारण हड्डी और मांसपेशियों से संबंधित नई-नई शारीरिक बीमारियां उत्पन्न हो रही है। जिस कारण आज प्रतेक व्यक्ति को फ़िज़ियोथेरेपिस्ट (भौतिक चिकित्सक) की जरूरत है। अगर जटिल बीमारियों की बात की जाए तो जोड़ों का दर्द, कंधे का दर्द, लकवा, ब्रेन अटैक जैसी भयानक बीमारीयों का ईलाज बिना दवाओ के भी संभव है। अधिकांश व्याधियों में आयु अनुसार व्यायाम बताये जाते हैं।
आम जन को दैनिक जीवन में सेहत के लिहाज से क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए ?   रोजमर्रा की व्यस्त दिनचर्या के कारण बिगड़ रहे स्वास्थय से बचाव के लिए हमे यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सुबह जल्दी उठें व ज्यादा पानी पीऐं। फ़िज़ियोथेरेपिस्ट की देख रेख में अच्छे पोस्चर में कसरत को दिनचर्या मे शामिल करें। महीने मे दो उपवास अवश्य रखें। निरंतर कसरत करें व दिन मे न सोएं। कामकाज के समय अपने सही पोस्चर में आसन का विशेष ध्यान रखें। सोने के लिए फोम वाले गद्दों के प्रयोग से परहेज करें। इस प्रकार के उपायों से हम स्वस्थ जीवन की आशा कर सकते हैं।
   भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) या फिज़ियोथेरेपी (Physiotherapy) एक स्वास्थ्य प्रणाली है जिसमे लोगों का परीक्षण किया जाता है और बिमारी का पता लगाया जाता है एवं उपचार प्रदान किया जाता हैं ताकि वे आजीवन अधिकाधिक गतिशीलता एवं क्रियात्मकता विकसित करें और उसे बनाये रख सकें. इसके अन्तर्गत वे उपचार आते हैं जिनमे व्यक्ति की गतिशीलता आयु, चोट, बीमारी एवं वातावरण सम्बन्धी कारणों से खतरे में पड़ जाती है।
      भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) का सम्बन्ध जीवन की उत्कृष्टता एवं गतिशीलता के सामर्थ्य को पहचानने एवं उसको अधिकतम करने के साथ साथ उसका प्रोत्साहन, बचाव, उपचार, सुधार एवं पुनर्सुधार करने से है। इनमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं सामाजिक कल्याण शामिल हैं। इसके अन्तर्गत भौतिक चिकित्सक (फिजियोथेरेपिस्ट), मरीज़ अन्य स्वास्थ्य व्यवसायी, परिवार, ध्यान रखने वालों और समुदायों के मध्य संपर्क की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसमे भौतिक चिकित्सक के विशिष्ट ज्ञान और कुशलताओं द्वारा गतिशीलता की क्षमता का मूल्याङ्कन करके, सहमति के साथ ट्रीटमेंट के प्रोटोकॉल निर्धारित किये जाते हैं। भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) फिजियोथेरेपिस्ट की देख-रेख में एक सहायक (PTA) द्वारा की जाती है।
      भौतिक चिकित्सक किसी व्यक्ति के रोग का इतिहास जान कर और परीक्षण करके रोग की पहचान करने के बाद उपचार की योजना तैयार करते हैं और आवश्यक होने पर इसमें प्रयोगशाला एवं छवि (बिम्ब) परीक्षण भी सम्मिलित करवाते हैं। इस कार्य में वैद्युतिक निदानशास्त्र परीक्षण (इलेक्ट्रोडायग्नोस्टिक टेस्टिंग), उदाहरण के लिए इलेक्ट्रोमयोग्रैम्स (electromyograms) और स्नायु-चलन वेग परीक्षण (नर्व कंडक्शन वेलोसिटी टेस्टिंग) भी उपयोगी हो सकती हैं।
      भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) के कुछ विशेषज्ञता क्षेत्र हैं, जैसे कार्डियोपल्मोनरी चिकित्सा (Cardiopulmonary), जराचिकित्सा (Geriatrics), स्नायु संबन्धी चिकित्सा (Neurologic), अस्थि-रोग चिकित्सा (Orthopaedic) और बालरोग चिकित्सा (Paediatrics) इत्यादि. भौतिक चिकित्सक कई प्रकार से कार्य करते हैं, जैसे, बाह्य रोगी क्लिनिक या कार्यालय, आंत्र-रोगी पुनर्वास केन्द्र, निपुण परिचर्या सुविधाएं, प्रसारित संरक्षण केन्द्र, निजी घर, शिक्षा एवं शोध केन्द्र, स्कूल, मरणासन्न रोगी आश्रम, औद्योगिक अथवा अन्य व्यावसायिक कार्यक्षेत्र, फिटनेस केन्द्र तथा खेल प्रशिक्षण सुविधाएं आदि।

Introduction of Pinkcity Physiotherapy and Rehabilitation Center, Jagatpura, Jaipur

     Welcome to Pinkcity Physiotherapy and Rehabilitation Center. We are working with physiotherapy services in Jaipur who will provide you the home service also. We helps you to make the movement of your body part affected by illness or injury. Physiotherapy requires the Physiotherapist who work with patient whose body activity is damaged by disease or traumatic hazards. For best physiotherapist in Jaipur contact with us. we will take you to the nearby physiotherapy clinic we will come to your home for treatment also.

Location and Overview

A qualified medical practitioner, Pinkcity Physiotherapy & Rehabilitation Center in Jagatpura, Jaipur is one among the celebrated Physiotherapists, having practiced the medical specialization for many years. This medical practitioner's clinic was established in 2014 and since then, it has drawn scores of patients not only from in and around the neighbourhood but also from the neighbouring areas as well. This medical professional is proficient in identifying, diagnosing and treating the various health issues and problems related to the medical field. This doctor has the requisite knowledge and the expertise not just to address a diverse set of health ailments and conditions but also to prevent them. As a trained medical professional, this doctor is also familiar with the latest advancements in the related field of medicine. The clinic of this doctor is at Pinkcity Physiotherapy & Rehabilitation Center,Near Railway Flyover, Brij Vihar Vistar,Jagat Pura,Jaipur-302017. The commute to this clinic is a rather convenient one as various modes of conveyance are easily available. In order to get more information and to schedule an appointment with this doctor, citizens can reach out on the following contact number +(91)-9414990102,8385905608,9887144422. This listing is also listed in Physiotherapists, Physiotherapist For Home Visits, Physiotherapy Centres, Physiotherapists For Paraplegia, Physiotherapists For Cerebral Palsy, Rheumatology Physiotherapists, Physiotherapists For Spine Injuries, Physiotherapists For Knee.
Services offered by Pinkcity Physiotherapy & Rehabilitation Center

Pinkcity Physiotherapy & Rehabilitation Center in Jagat Pura has a well-equipped and well-maintained clinic. It is sectioned into a waiting area for patients, where they can wait for their turn. This clinic has a consulting room, where this practitioner attends to patients between the consulting timings. Usually, on the first visit, this practitioner thoroughly understands and documents the patient's medical history and discusses the various health issues they are currently facing. Following this, the doctor may conduct a simple examination to check and confirm the symptoms of the ailment. Based on this examination, this physician prescribes a suitable course of action, be it medication or further diagnostic tests. This clinic is open to patients between 09:00 AM - 09:00 PM Make a payment with ease using any of the following modes of payment, including Cash, Money Orders, Cheques.

    If you are suffering from pain in your knee or shoulder or any body part and that suspected part is not moving, a physiotherapist can give you the best solution only. We are trained and have knowledge of body parts and how they work. Sometimes blood circulation can also be the issue when our body is not in the mode of circulating the blood. Hire a physiotherapist we will suggest you the exercise to regain their functionality. They exploit our life through prevention, treatment, rehabilitation (process of making body fit), rehabilitation (process of enabling the person’s body part that are not in working condition since longer) or promotion (process of health improvement).


     We offer full-fledged service. Our Physiotherapy center is located in Jagatpura, Jaipur. If you reside in Jaipur and searching a nearby physiotherapist than contact us. We provide you the best physiotherapy treatment in Pratap Nagar, Malviya Nagar and also have Physiotherapy clinic in Prithasavi Hospital, near Jagatpura railway flyover, Jagatpura Jaipur. You can call and contact with us and we will give you the tips. In emergency We may visit your home.. Our physiotherapist are certified and have completed their degree from recognized universities and have practitioner or registered licensed issued by government. They are authorized to work in hospital and also can practice at private clinics.

    Bringing about incredible improvement in the lifestyle of patients is Dr. Brijesh Kumar Bansiwal at Jagatpura, Jaipur. A physiotherapist, the practitioner has been practicing since 2016. The PHYSIOTHERAPY DEPARTMENT is located at a prominent location in the city at in Jagatpura. Though situated in a notable neighborhood, those new to the location can easily spot the PHYSIOTHERAPY DEPARTMENT as it stands Near Railway Flyover, Brij Vihar vista, an eminent landmark in the vicinity. With regards to commuting, the location is accessible by a number of modes of public transportation which make it convenient for patients to be on their way to the physiotherapist's PHYSIOTHERAPY DEPARTMENT.

Dr. Brijesh Kumar Bansiwal is one of the best Physiotherapist available in Jaipur Dr. Bansiwal has done his BPT from Mahatma Gandhi Physiotherapy College, Jaipur in 2013 and has been practicing ever since. He has been rated one of the best doctors with 90% success rates and his patients never goes unsatisfied. His medical expertise is PHYSIOTHERAPY IN ALL NEURO, ORTHO AND SPORTS INJURY. He is at present the Head of the Physiotherapy Department in Prithasavi Hospital.

Dr. Brijesh Kumar Bansiwal at Jagatpura is known to bring about mobility in patients after an injury or ailment that is detrimental to movement of a part of the body or the entire body. The entire process involves an examination, prognosis, and treatment which results in promoting mobility, flexibility, and function of the affected area. The various exercises suggested by the practitioner restore maximum movement. The treatment is provided depending on the cause of inactivity which could be a result of a physical injury, a medical condition, aging or environmental factors. The doctor specializes in rendering treatment to patients suffering from arthritis, spondylitis, and musculoskeletal disorders. Other than this, the doctor also conducts postoperative physiotherapy sessions for patients who have undergone a surgery and have limited or no movement of a part of the body. Other than practicing at the medical center, the physiotherapist also visits patients at their home for sessions which comes as a relief for patients. Patients can get in touch with the physiotherapist on +(91)-9414990102,8385905608 or visit the PHYSIOTHERAPY DEPARTMENT and website.

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What is Physiotherapy?
    It is an approach of maximizing the ability to move your injured body part. It restores the wellness to patient who are wounded or having disability. The approach includes helping the people who are threatened by ageing, pain, disorders, injury or affected by environmental factors.
According to WCPT- World Confederation for Physical Therapy “physiotherapy is a holistic approach that maintain or restores the movement of our body parts, which have stop working. It improves the physical ability. Also mean the treatment of any injure, pain or physical illness.
It is a prescription of exercise that include manipulation or mobilization as treatment process. Electrotheraputic & physical agents are used to maintain or restore the well being. They have a belief that there patient are injured because of social or environment factors. Physiotherapist have their own clinic where they make their own plans of treatments and judgments. We help in movement of bones, muscles or joints which are fail to work.

What are the benefits?
It helps in different manner:-
  • Helps in improvement of physical activity.
  • Indorsing wellness and mobility.
  • Maintain the physical performance
  • Prevent us from re-occurrence or functional decline
  • Improves the functionality of body for longer life.
  • Manages the chronic conditions.
  • Reeducating injury and the paraphernalia of disease or ill health with therapeutic exercise.
  • Helps in body pain, circulation of blood, shoulder or muscle problem
  • Removes the cervical problem
  • Enable the movements of body part- affected by disease, injury or disability.
  • Provide humanization and accessible heath service.
  • Provide service for health care.
  • After having surgery physiotherapy is require for fastest recovery of patient.
  • Reduce the effect of bleeding in joint- which result in permanent disability.
  • Regular exercise keeps you healthy and fit.
  • Make your back muscle strong and eliminate the back pain.
  • Helps in sudden injury
  • Manage the conditions like asthma.
  • Improves the physical independence or fitness both for child and adults.
  • Helps in urinary problem of mainly found in women at the time of child birth, called incontinence.

Physiotherapy service has its applications in all most all disciplines of modern medicine-
ORTHO PHYSIOTHERAPY
NEURO PHYSIOTHERAPY
SPORTS INJURIES

To know more about Physiotherapy