सोमवार, 10 नवंबर 2025

जब मैं एक Medical Physiotherapist होकर भी अपनी पहचान को हर दिन धुंधला होते देखता हूँ — तब यह सवाल उठता है कि क्या हमारे देश में ज्ञान, योग्यता और चिकित्सा की असली परिभाषा अब भी समझी जाती है ❗

🩺 जब मैं एक Medical Physiotherapist होकर भी अपनी पहचान को हर दिन धुंधला होते देखता हूँ — तब यह सवाल उठता है कि क्या हमारे देश में ज्ञान, योग्यता और चिकित्सा की असली परिभाषा अब भी समझी जाती है ❗

       कभी सोचा है, जब एक डॉक्टर अपने ज्ञान, अनुभव और मेहनत से किसी मरीज को फिर से चलने, झुकने या दर्द-मुक्त जीवन जीने योग्य बनाता है — तो वह वास्तव में क्या कर रहा होता है?
     वह सिर्फ़ “एक्सरसाइज़” नहीं करवा रहा होता, वह मानव शरीर की जटिलताओं को पढ़ रहा होता है, उसके बायोमैकेनिक्स को समझ रहा होता है, उसकी मांसपेशियों, नसों और जोड़ों के बीच का संतुलन पुनः स्थापित कर रहा होता है। और यही काम एक Medical Physiotherapist करता है — विज्ञान, प्रमाण और मानवीय संवेदना के उस संगम पर, जहाँ इलाज सिर्फ़ शरीर का नहीं, बल्कि विश्वास का भी होता है।
     लेकिन आज यह सच्चाई धीरे-धीरे धुंधली पड़ती जा रही है। क्योंकि समाज, सिस्टम और नीतियाँ — तीनों ने मिलकर उस पहचान को धुंधला कर दिया है, जिसे बनाने में सालों की मेहनत, अध्ययन और क्लिनिकल अनुभव लगा है।
🔹 मेडिकल नॉलेज पर आधारित, फिर भी “पैरामेडिकल” कहलाने की विडंबना—
     मैंने Graduation (BPT) और Post-Graduation (MPT) उसी यूनिवर्सिटी से की है, जहाँ MBBS और MD डॉक्टर भी पढ़ते हैं। हमने भी Anatomy, Physiology, Pathology, Orthopedics, Neurology और Rehabilitation Medicine उतनी ही गहराई से पढ़ा है जितना कोई मेडिकल छात्र पढ़ता है। 
        फिर भी, जब नीति बनाने वाले या स्वास्थ्य तंत्र हमें “paramedical” या “rehabilitation worker” की श्रेणी में रख देते हैं, तो यह सिर्फ़ एक शब्द का अन्याय नहीं होता — यह एक पहचान का अपमान होता है। क्योंकि Physiotherapy Medicine की शाखा है, न कि केवल उसकी सहायता करने वाला साधन। हमारा इलाज दवाइयों से नहीं, बल्कि विज्ञान और स्पर्श की चिकित्सा से होता है।

🔹 समाज में गलत धारणा — “Physiotherapist मतलब व्यायाम सिखाने वाला”
     आम लोगों की नजर में Physiotherapist अक्सर वह व्यक्ति होता है जो “सेक”, “एक्सरसाइज़” या “मशीन लगाता है।”
       यह अज्ञानता नहीं, बल्कि सूचना की कमी है, जिसे फैलाने का जिम्मा किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। मरीज यह नहीं जानता कि जब वह दर्द से कराहता हुआ हमारे पास आता है, तो हम उसके X-ray, MRI, Posture, Movement pattern और Muscle balance का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं।
      हम pain relief के साथ-साथ root cause correction पर काम करते हैं — जो अक्सर दवाओं से भी ज़्यादा कठिन और समय लेने वाला होता है।
      लेकिन जब समाज आपको सिर्फ़ “एक्सरसाइज वाले भैया” या “फिजियो वाला” समझे, तो वह आपकी मेहनत की गहराई को नहीं, केवल उसकी सतह को देखता है।

🔹 मेडिकल सिस्टम में पहचान की लड़ाई—
     दर्द तब और बढ़ता है, जब वही सिस्टम, जिसमें हम पढ़े और जिसमें हमारा विज्ञान है — हमें अपनी ही परिधि से बाहर धकेल देता है। कभी डॉक्टर हमें “Technician” कह देता है, कभी अस्पताल हमें “support staff” की लाइन में खड़ा कर देता है। हमारे पास इलाज करने की clinical reasoning है, evidence-based approach है, फिर भी हमें “worker” तक सीमित कर दिया गया है।
     क्या यह विडंबना नहीं कि जो व्यक्ति मरीज को बिना सर्जरी फिर से खड़ा कर सकता है, उसे “Rehabilitation worker” कहकर किनारे कर दिया जाए?
यह केवल प्रोफेशनल असमानता नहीं — यह एक intellectual injustice है।

🔹 जब पहचान अधिकार से जुड़ जाती है—
      पहचान केवल एक शब्द नहीं होती, यह सम्मान, जिम्मेदारी और अधिकार — तीनों का मिश्रण होती है। जब Medical Physiotherapist शब्द से “Medical” को मिटा दिया जाता है, तो उसके साथ ही इलाज की वैज्ञानिकता, अधिकार और पहचान तीनों कमजोर हो जाते हैं।
    आज जब कोई मरीज हमें “Doctor” नहीं कह पाता, तो वह हमारे ego का नहीं, बल्कि पूरे प्रोफेशन के value system का सवाल बन जाता है।

🔹 असली समस्या — Council का अभाव और नीतिगत असमानता:
      भारत में आज तक Physiotherapy Council न बन पाना, इस पहचान संकट की जड़ है। Council न होने का मतलब — कोई स्वतंत्र पहचान नहीं, कोई एकरूपता नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। हर राज्य, हर संस्था अपने हिसाब से physiotherapy की परिभाषा गढ़ लेती है।
      कहीं हमें मेडिकल के अंतर्गत माना जाता है, कहीं “rehabilitation” या “paramedical” के रूप में। जब तक यह स्पष्टता नहीं आती, तब तक Physiotherapist की पहचान आधी-अधूरी ही रहेगी।

🔹 मैं सिर्फ़ शरीर नहीं, एक सम्पूर्ण इंसान का इलाज करता हूँ—
     एक Medical Physiotherapist सिर्फ़ muscles या joints का इलाज नहीं करता, वह व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता, उसकी आत्म-क्षमता और आत्मविश्वास को पुनः स्थापित करता है। हमारी therapy मरीज के जीवन में “movement” के साथ “motivation” भी लाती है।
     कई बार मरीज हमारे पास आता है, जब वह हार चुका होता है — तब हमारी clinical skills के साथ हमारी संवेदना ही उसका नया उपचार बनती है।

🔹 पहचान की धुंध से बाहर आने का रास्ता—
अब समय आ गया है कि Medical Physiotherapists अपनी पहचान के लिए एकजुट हों —
⚕️ अपनी शिक्षा, डिग्री और clinical evidence को आवाज़ दें,
⚕️ समाज को जागरूक करें कि Physiotherapy “Alternative” नहीं, बल्कि “Essential Medicine” का हिस्सा है,
⚕️ और सरकार से माँग करें कि Physiotherapy Council बने — ताकि हर Physiotherapist की पहचान, अधिकार और सम्मान सुरक्षित हो सके।

🔹 निष्कर्ष—
     मैं आज भी हर मरीज के साथ उसी समर्पण से काम करता हूँ जैसे पहले दिन किया था —लेकिन अंतर यह है कि अब मैं सिर्फ़ दर्द नहीं, बल्कि पहचान की धुंध से भी लड़ रहा हूँ। और शायद यह लड़ाई, किसी muscle strain या ligament injury से कहीं ज़्यादा कठिन है।
       क्योंकि शरीर का दर्द दवा से ठीक हो जाता है, पर पहचान का दर्द — तभी मिटता है जब समाज, सिस्टम और नीति — तीनों मिलकर हमको हमारी असली जगह वापस दें।


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