शुक्रवार, 7 नवंबर 2025

“भारत में Physiotherapy Council का न बन पाना सिर्फ एक प्रशासनिक कमी नहीं बल्कि यह उस पूरे प्रोफेशन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जहाँ हर Physiotherapist को रोज़ समाज, डॉक्टरों और हेल्थ सिस्टम के सामने अपनी पहचान, अधिकार और सम्मान साबित करना पड़ता है।”

“भारत में Physiotherapy Council का न बन पाना सिर्फ एक प्रशासनिक कमी नहीं बल्कि यह उस पूरे प्रोफेशन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जहाँ हर Physiotherapist को रोज़ समाज, डॉक्टरों और हेल्थ सिस्टम के सामने अपनी पहचान, अधिकार और सम्मान साबित करना पड़ता है।”

🧩 जब पहचान ही अधूरी रह जाए—
         भारत में फिजियोथेरेपी आज हर अस्पताल, हर क्लिनिक, हर खेल मैदान और हर घर तक पहुँच चुकी है। लेकिन विडंबना यह है कि इतना महत्वपूर्ण हेल्थकेयर प्रोफेशन आज भी कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त परिषद (Council) से वंचित है।
      जहाँ डॉक्टरों के लिए Medical Council, नर्सों के लिए Nursing Council, और फार्मासिस्ट के लिए Pharmacy Council हैं, वहीं फिजियोथेरेपिस्ट आज भी “किसकी अंडर आते हैं” जैसे सवालों का सामना रोज़ करते हैं।
⚖️ Council न होने का मतलब — एक Profession की अधूरी पहचान:
     Physiotherapy Council न होना सिर्फ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि एक systemic neglect है।
इसका असर तीन स्तरों पर दिखता है —

1. समाज में:
आम जनता अब भी Physiotherapist को “थेरेपी वाला” या “मालिश करने वाला” समझ लेती है, क्योंकि कोई आधिकारिक संस्था नहीं जो इस प्रोफेशन की सीमा, पात्रता और योग्यता को परिभाषित करे।

2. हेल्थ सिस्टम में:
डॉक्टरों और अस्पतालों के बीच Physiotherapists की भूमिका तय नहीं है। कोई कानूनी ढांचा नहीं जो बताये कि फिजियो किस हद तक निदान या उपचार में अधिकार रखता है।

3. शिक्षा प्रणाली में:
बिना Council के दर्जनों non-medical universities Physiotherapy के BPT और MPT course को Engineering या Arts की तरह चला रही हैं, जहाँ Anatomy या Medical Science की समझ अधूरी दी जाती है।
नतीजा — हज़ारों ऐसे “degree holders” तैयार हो रहे हैं जो clinical practice में गंभीर खतरा बन सकते हैं।

📚 जब शिक्षा दिशा खो दे—
     Council की अनुपस्थिति ने Physiotherapy शिक्षा को commercial business में बदल दिया है। जहाँ एक ओर Medical Universities हर बैच में सीमित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देती हैं, वहीं दूसरी ओर Private Non-Medical Institutions सैकड़ों छात्रों को बिना clinical infrastructure के डिग्री बाँट रही हैं।
    इससे न सिर्फ पेशे की साख गिरती है, बल्कि असली qualified Physiotherapists को भी जनता के सामने अपनी credibility बार-बार साबित करनी पड़ती है।

💼 Professional Identity Crisis — “Doctor नहीं तो क्या हैं?”
    हर Physiotherapist को अपनी पहचान बताने के लिए बहस करनी पड़ती है — क्या वह doctor है, technician है, या सिर्फ therapist?
Council न होने की वजह से इस प्रोफेशन की legal definition ही अस्पष्ट है।
     जब तक सरकार Physiotherapy को एक स्वतंत्र healthcare discipline के रूप में मान्यता नहीं देगी, तब तक इस प्रोफेशन का सामाजिक सम्मान अधूरा रहेगा।

🧠 समस्या सिर्फ सम्मान की नहीं, सुरक्षा की भी है—
    Council न होने का सीधा असर patient safety पर भी पड़ता है। बिना regulation के कोई भी व्यक्ति “Physiotherapist” का बोर्ड लगाकर practice शुरू कर देता है। यह न केवल मरीजों के लिए खतरा है, बल्कि असली trained physiotherapists के लिए अपमान भी।
🗣️ सरकार की चुप्पी और समाज की अनदेखी—
      कई वर्षों से Physiotherapy Council Bill विभिन्न स्तरों पर प्रस्तावित हुआ, लेकिन हर बार या तो Medical Council के विरोध में अटका या सरकारी प्राथमिकताओं की सूची में पीछे रह गया। 
नतीजा — एक प्रोफेशन जो rehabilitation, pain management, और mobility restoration का आधार है, वह खुद अपनी “policy rehabilitation” का इंतज़ार कर रहा है।

🌱 Physiotherapist क्या चाहता है?
एक Physiotherapist कोई विशेषाधिकार नहीं माँगता। वह सिर्फ चाहता है —
✔️उसकी शिक्षा का मानक तय हो,
✔️उसकी पहचान Medical system में स्पष्ट हो,
✔️और उसके पेशे का दायरा कानून द्वारा परिभाषित हो।

Council बनने से न सिर्फ प्रोफेशन मजबूत होगा, बल्कि patients का विश्वास भी बढ़ेगा कि उनका इलाज trained और registered विशेषज्ञ से हो रहा है।

💪 अब बदलाव की ज़रूरत है—
       Physiotherapy को भारत में अब policy recognition की नहीं, बल्कि constitutional respect की आवश्यकता है। जब तक Council नहीं बनती, तब तक हर Physiotherapist को अपने व्यवहार, ज्ञान और सेवा के ज़रिए यह साबित करना होगा कि वह healthcare का एक अनिवार्य और वैज्ञानिक हिस्सा है।

🏁 निष्कर्ष — Council नहीं, तो Complete नहीं:
    भारत में Physiotherapy Council का गठन केवल कागज़ी प्रक्रिया नहीं, बल्कि पूरे प्रोफेशन की identity, integrity और accountability की नींव है। 
    जब तक यह Council नहीं बनती, तब तक Physiotherapy एक पूर्ण प्रोफेशन नहीं कहलाएगा — 

क्योंकि “जहाँ नियम नहीं, वहाँ पहचान अधूरी है; और जहाँ पहचान अधूरी है, वहाँ सम्मान संभव नहीं।”


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें