Wednesday, May 19, 2021

कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए लंग्स रिकवरी के लिए फायदेमंद है चेस्ट फिजियोथेरेपी, एयरवे को क्लीन कर सैचुरेशन बढ़ाती है, जानिए इसे कैसे करना है

   कोरोना संक्रमित मरीजों का ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने और फेफड़ों की रिकवरी के लिए राजस्थान के डॉक्टर चेस्ट फिजियोथेरेपी का सहारा ले रहे हैं। इस थेरेपी से बड़ी संख्या में मरीज रिकवर हो रहे हैं। जो मरीज ऑक्सीजन की कमी के चलते परेशान हो रहे हैं, उनके लिए चेस्ट फिजियोथेरेपी कारगर साबित होती नजर आ रही है।इसके जरिए जयपुर के कई अस्पतालों में भर्ती मरीजों का न केवल सैचुरेशन (ऑक्सीजन लेवल) बढ़ा है, बल्कि मरीज के लंग्स (फेफड़ों) की रिकवरी भी तेजी से हुई है। ऐसे भी केस सामने आए हैं जिनमें मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, लेकिन इस थेरेपी से उनका ऑक्सीजन लेवल नॉर्मल हो गया।

छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. विनी कंतरू अपने एक वीडियो में बताती हैं कि चेस्ट फिजियोथेरेपी, कोविड-19 के रोगियों में काफी फायदेमंद हो सकती है। छाती के अंदर बलगम फंसने और सूखापन आ जाने के कारण सांस लेने में होने वाली दिक्कतों को ठीक करने में यह थेरेपी कारगर साबित हो सकती है।

कोरोना से संक्रमित और इससे ठीक होने के बाद भी फेफड़ों की रिकवरी और एयरवे को स्वस्थ बनाने के लिए सबसे जरूरी और सरल तरीका है चेस्ट फिजियोथेरेपी। हम आपको बता रहे हैं चेस्ट फिजियोथेरेपी से जुड़ी कुछ आसान ब्रीदिंग एक्सरसाइज, जिन्हें आप घर पर ही कर सकते हैं। इन्हें करते वक्त केवल एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि इसे धीरे-धीरे शुरू करें।

  • डायाफ्रामिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज हार्ट रेट को कम करने और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद करती है

पर्स्ड लिप ब्रीदिंग एक्सरसाइज एयरवे को खुला रखने में मदद करती है

एक्टिव साइकिल ऑफ ब्रीदिंग टेक्नीक (ACBT) फेफड़े में जमा बलगम साफ करने में मदद करती है

बैलून ब्लोइंग ब्रीदिंग एक्सरसाइज पलमोनरी और रेस्पिरेटरी फंक्शन को मजबूत करती है

स्ट्रॉ एक्सरसाइज फेफड़ों को स्वस्थ बनाने में मदद करती है

स्पाइरोमीटर एक्सरसाइज उस फ्लूड को ब्रेक करने में मदद करती है जिसकी वजह से सांस लेने में दिक्कत या निमोनिया होता है

ऐसे काम करती है चेस्ट फिजियोथेरेपी

  1. कोविड मरीजों के फेफड़े वायरस से डैमेज तो होते ही हैं, साथ ही कई मरीजों के फेफड़ों में टाइट स्पुटम (कफ) जमने की शिकायत भी होने लगती है। कफ जमने से फेफड़े अपनी क्षमता के मुताबिक काम नहीं करते, इसके कारण मरीज की रिकवरी भी देरी से होती है।
  2. रिकवरी की स्पीड को बढ़ाने के लिए मरीज के फेफड़ों से कफ हटाना जरूरी होता है, ताकि वह अच्छे से काम कर सकें और मरीज सांस ले सके।
  3. फेफड़ों में जमे टाइट कफ को ढीला कर बाहर निकालने के लिए डॉक्टर अलग-अलग दवाइयां देते हैं, जिसमें समय लगता है। जबकि चेस्ट थेरेपी में बिना दवाइयों के कफ को ढीला करते हैं और वह अपने आप मरीज के शरीर से बाहर निकलने लगता है।
  4. मरीज के शरीर से जब कफ बाहर आता है तो उसे सांस लेने में आसानी होती है। संक्रमित फेफड़े भी जल्द ही ठीक होने लगते हैं।