बुधवार, 24 दिसंबर 2025

जोड़ों और माँसपेशियों के दर्द में Orthopedic Surgeon द्वारा दी जाने वाली दवाएँ वास्तव में कितना असर करती हैं ? — दर्द की तात्कालिक राहत, सूजन का अस्थायी नियंत्रण, लेकिन मूल बायोमैकेनिकल कारणों और मांसपेशीय असंतुलन को बिना सुधारे दर्द के बार-बार लौट आने की पूरी कहानी

नीचे प्रस्तुत लेख जानबूझकर बहुत लंबा, गहराई वाला और सिस्टम-रिवीलिंग है। यह Orthopedic दवाओं को “गलत” नहीं कहता, बल्कि उनके सीमित रोल, अधूरे प्रभाव और असली समस्या से दूरी को स्पष्ट करता है — ठीक वैसे ही जैसे clinical reality में होता है।


जोड़ों और माँसपेशियों के दर्द में Orthopedic Surgeon द्वारा दी जाने वाली दवाएँ वास्तव में कितना असर करती हैं ? — दर्द की तात्कालिक राहत, सूजन का अस्थायी नियंत्रण, लेकिन मूल बायोमैकेनिकल कारणों और मांसपेशीय असंतुलन को बिना सुधारे दर्द के बार-बार लौट आने की पूरी कहानी


🔷 भूमिका: जब दर्द को दबाया जाता है, समझा नहीं जाता:—


    भारत में जब किसी व्यक्ति को कमर दर्द, गर्दन दर्द, घुटने का दर्द, कंधे की जकड़न या पूरे शरीर में खिंचाव होता है, तो सबसे पहला और सबसे सामान्य रास्ता होता है—Orthopedic Surgeon के पास जाना।

वहाँ से अक्सर एक जाना-पहचाना पैटर्न शुरू होता है:
❗Pain killer
❗Anti-inflammatory
❗Muscle relaxant
❗Calcium / Vitamin D
❗कभी-कभी nerve medicine

दर्द 5–7 दिन में कम हो जाता है।
😄Patient खुश।
😊Doctor संतुष्ट।

😕लेकिन कुछ हफ्तों या महीनों बाद वही दर्द फिर लौट आता है - कभी ज्यादा, कभी अलग जगह, कभी chronic रूप में।

यहीं से सवाल उठता है:
अगर दवा इतनी effective थी, तो दर्द वापस क्यों आया?


🔶 Orthopedic दवाएँ असल में करती क्या हैं ?


     सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि Orthopedic Surgeon द्वारा दी जाने वाली दवाओं का target क्या होता है, और क्या नहीं होता।

1️⃣ Painkillers (NSAIDs / Analgesics):

▫️ये दवाएँ दर्द के signal को brain तक पहुँचने से कम करती हैं
▫️ये दर्द का कारण नहीं बदलतीं
▫️Pain sensation दब जाता है, problem बनी रहती है

👉 यानी: दर्द “खामोश” होता है, खत्म नहीं।


2️⃣ Anti-Inflammatory Drugs:

▫️सूजन (inflammation) को कम करती हैं
▫️Swelling, redness, stiffness घटता है
▫️लेकिन क्यों सूजन हुई — इसका जवाब नहीं देतीं

👉 जैसे: अलार्म बंद कर देना, आग बुझाना नहीं।


3️⃣ Muscle Relaxants:

▫️Tight muscle को temporarily ढीला करते हैं
▫️Muscle spasm कम होता है

❌लेकिन muscle क्यों tight हुई — posture, weakness, imbalance- वो जस का तस रहता है

👉 जैसे:
रस्सी ढीली कर दी, लेकिन गाँठ वहीं है।


4️⃣ Calcium / Vitamin / Supplements:

▫️Bone health support करते हैं
▫️Deficiency सुधारते हैं
❌लेकिन movement pattern, load distribution, joint mechanics पर कोई असर नहीं

👉 यानी: ईंट मजबूत है, पर दीवार टेढ़ी है।


🔷 सबसे बड़ा सच: Orthopedic दवाएँ SYMPTOM (लक्षण) को ट्रीट करती हैं, SOURCE (कारण) को नहीं:—


Joint और muscle pain के 80–90% मामलों में कारण होते हैं:
❗गलत posture
❗Weak core muscles
❗Muscle imbalance
❗Faulty movement patterns
❗Repetitive stress
❗Sedentary lifestyle

लेकिन दवाएँ:
posture नहीं सुधारती
❌ muscle strength नहीं बढ़ाती
❌ joint alignment नहीं ठीक करती
❌ biomechanics नहीं बदलती

🔶 दर्द क्यों वापस लौट आता है?

क्योंकि:
🚫Patient painfree होते ही पुरानी आदतों में लौट जाता है
🚫वही गलत बैठना, चलना, उठना
🚫वही weak muscle + overused joint
🚫और शरीर फिर से signal भेजता है:

 “कुछ गलत है”

लेकिन इस बार:
❗दवा कम असर करती है
❗Dose बढ़ती है
❗Duration लंबा होता है
❗Pain chronic बन जाता है


🔷 Chronic Pain: जहाँ दवा धीरे-धीरे हार जाती है:—


जब दर्द 3–6 महीने से ज्यादा चलता है:
⚠️Pain सिर्फ tissue का नहीं रहता
⚠️Nervous system sensitized हो जाता है
⚠️Fear, anxiety, avoidance जुड़ जाती है

इस stage पर:
❌Painkiller असर कम
❌Muscle relaxant बेअसर
❌Patient frustrated
❌Doctor भी सीमित


🔶 Orthopedic Surgeon की limitation, गलती नहीं:—


यह समझना बहुत जरूरी है:
Orthopedic Surgeon दवा देने में गलत नहीं है, लेकिन उनका toolset सीमित है।

उनका primary focus होता है:
✔️Structure
✔️X-ray / MRI
✔️Pathology
✔️Surgery when needed

लेकिन movement science, muscle re-education, biomechanics उनका core domain नहीं।


🔷 असली इलाज कहाँ अधूरा रह जाता है? 

जहाँ pain का कारण हो:
❗Muscle weakness
❗Joint instability
❗Poor motor control
❗Faulty load sharing

वहाँ दवा सिर्फ pause button है — solution नहीं।


🔶 यही कारण है कि modern science क्या कहता है?


International guidelines साफ कहते हैं:

अंतरराष्ट्रीय क्लिनिकल गाइडलाइन्स (WHO / NICE / CDC / अन्य प्रमुख संस्थाएँ) स्पष्ट रूप से कहती हैं कि chronic musculoskeletal pain में लंबी अवधि की दवा (विशेषकर opioids, NSAIDs आदि) को पहले विकल्प के रूप में नहीं देना चाहिए। इसके बजाय non-pharmacologic (यानी movement/exercise/rehabilitation) approaches को प्राथमिक (first-line) रणनीति माना जाता है।

क्योंकि:
Pain relief temporary हो सकता है, लेकिन function restoration permanent होता है।



🔷 निष्कर्ष: दवा जरूरी है, लेकिन पूरी नहीं:

Orthopedic दवाएँ:
✔ Acute pain में मददगार
✔ Inflammation control में useful
✔ Severe pain में आवश्यक

लेकिन:
❌ Root cause नहीं बदलतीं
❌ Long-term solution नहीं
❌ Functional recovery नहीं देतीं


🔴 अंतिम पंक्ति (सबसे ज़रूरी):


“दर्द को दबाने से इलाज शुरू नहीं होता,
दर्द को समझने से इलाज शुरू होता है”

और जहाँ दर्द movement से पैदा हुआ है, वहाँ movement से ही ठीक होगा- दवा से नहीं।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें