गुरुवार, 18 दिसंबर 2025

जब मरीज का इलाज सफल हो जाये तो नाम का श्रेय बँट न जाये — इसी डर से कुछ Medical और Surgical doctors Physiotherapist को मरीज रेफर करने से बचते है

जब मरीज का इलाज सफल हो जाये तो नाम का श्रेय बँट न जाये — इसी डर से कुछ Medical और Surgical doctors Physiotherapist को मरीज रेफर करने से बचते है 



भूमिका:— इलाज की सफलता एक “टीमवर्क” है — फिर श्रेय का डर क्यों?


      आधुनिक चिकित्सा विज्ञान यह स्वीकार करता है कि कोई भी रोग, चोट या विकार सही होने के पीछे एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं होता। Diagnosis, Acute Management, Surgery, Medication, Rehabilitation यह सब एक टीम के द्वारा मिलकर पूरा इलाज कहलाता है।

फिर प्रश्न उठता है —जब इलाज वास्तव में सफल होता है, तब फिजियोथेरेपिस्ट को रेफर करने में झिझक क्यों?
क्या यह केवल अनजाने में होता है? या इसके पीछे कोई गहरी मानसिक, पेशेवर और संरचनात्मक असुरक्षा छुपी है?

1“इलाज मेरा है” — यह सोच कहाँ से आती है?

Medical और Surgical शिक्षा व्यवस्था में ही एक बात चुपचाप बैठा दी जाती है:

“Patient outcome = Primary doctor की सफलता”

(भले Rehabilitation के दौरान फिजियो ने महीनों तक सेवा दी हो)

इस सोच के कारण —
❗मरीज ठीक हुआ → डॉक्टर महान
❗मरीज ने चलना सीखा → डॉक्टर की दवा असरदार
❗ऑपरेशन सफल → सर्जन की कुशलता

👉🏼लेकिन जहाँ फिजियोथेरेपी शुरू होती है, वहीं से Outcome साझा होने लगता है। यही वह बिंदु है जहाँ कुछ Medical और Surgical doctors के मन में असहजता पैदा होती है। और उनके मन में डर रहता है कि—

 “कहीं मरीज यह न कहदे कि डॉक्टर ने तो केवल 1 घंटे का opration किया है असली रिकवरी तो फिजियोथेरेपी से आई है”

2. Rehabilitation का डर:—

जहाँ सर्जरी और दवा पीछे छूट जाती है
सच्चाई यह है कि
🔹Pain control दवा कर सकती है
🔹Anatomy और structure ठीक करना सर्जरी कर सकती है
🔹लेकिन Function लौटाना केवल Rehabilitation कर सकती है

जब मरीज:
✔️खुद चलने लगता है
✔️सीढ़ियाँ चढ़ने लगता है
✔️हाथ उठाने लगता है
✔️काम पर लौट आता है
तो मरीज स्वाभाविक रूप से कहता है:

“डॉक्टर ने तो केवल 1 घंटे का opration किया है असली रिकवरी तो फिजियोथेरेपी से आई है”

यहीं से समस्या शुरू होती है।


3.“मरीज कह देगा — डॉक्टर ने नहीं, फिजियो ने ठीक किया”

यह डर अक्सर शब्दों में नहीं, व्यवहार में दिखाई देता है, फलस्वरूप:
❌रेफरल में देरी
❌अधूरी सलाह
❌“अभी जरूरत नहीं” फिजियोथेरेपी की 
❌“पहले दवा चलने दो फिर देखते हैं”

असल में यह चिकित्सा निर्णय नहीं, Image management होता है।


4. Outcome Distribution Syndrome:—
(अनौपचारिक लेकिन व्यापक मानसिक रोग)

यह कोई मेडिकल टर्म नहीं, लेकिन मेडिकल सिस्टम में एक मनोवैज्ञानिक बीमारी की तरह यह हर जगह मौजूद है।

इसके लक्षण:
❗Multidisciplinary approach से बचना
❗Physiotherapist को “Support staff” मानना
❗Rehab को secondary treatment बताना
❗मरीज को पूरी जानकारी न देना

इसका मूल कारण:

 “अगर मरीज बहुत अच्छा हो गया, तो श्रेय बँट जायेगा”


5. Ego बनाम Ethics:—

चिकित्सा का पहला सिद्धांत है:
👉Patient first

लेकिन जब Ego हावी होता है तो :
👉🏿Patient second हो जाता है और Credit first हो जाता है

यही वह बिंदु है जहाँ: 
-रेफरल रुक जाता है
-Recovery धीमी हो जाती है
-Chronic disability जन्म लेती है

6. Physiotherapist = Outcome Specialist:—

(जिसे जानबूझकर कम आँका जाता है)

फिजियोथेरेपिस्ट:
✔️Pain नहीं छुपाता, कारण सुधारता है
✔️Dependency नहीं बढ़ाता, independence लौटाता है
✔️Passive नहीं, Active recovery कराता है

यही कारण है कि:
👌मरीज emotionally फिजियो से connect करता है
👌सुधार visibly दिखता है
👌परिणाम measurable होता है
और यही बात कुछ डॉक्टरों को असहज करती है।

7. रेफरल न करने के “आधिकारिक बहाने”:—

अक्सर कहे जाने वाले वाक्य:
“अभी फिजियोथेरेपी की जरूरत नहीं”
“दवा से ठीक हो जाएगा”
“फिजियो तो बाद में देखेंगे”
“एक्सरसाइज़ घर पर कर लेना ”

लेकिन असली अर्थ:

“अगर फिजियो आ गया, तो outcome का श्रेय अकेले मेरा नहीं रहेगा”

“कहीं मरीज यह न कहदे कि डॉक्टर ने तो केवल 1 घंटे का opration किया है असली रिकवरी तो फिजियोथेरेपी से आई है”


8. इसका सबसे बड़ा नुकसान किसे होता है?

उत्तर सरल है — मरीज को

देर से Rehab → Joint stiffness
❌Muscle wasting
❌Chronic pain
❌Fear of movement
❌Permanent disability
यानी श्रेय बचाने की कोशिश में मरीज की ज़िंदगी दाव पर पड़ जाती है।

9. विकसित देशों का उदाहरण:—

जहाँ श्रेय का बँटवारा नहीं, सिस्टम चलता है

जहाँ Surgeon खुद लिखता है: 
✅Early Physiotherapy mandatory
✅Discharge summary में Rehab plan होता है
✅Outcome = Team success
वहाँ कोई श्रेय नहीं छीनता, कोई डर नहीं होता, नतीजा -मरीज जल्दी ठीक होता है

10. समाधान क्या है?

1. Medical education में Rehab literacy
2. Physiotherapist को equal clinical partner मानना
3. Outcome को team-based accept करना
4. Ego नहीं, Ethics को प्राथमिकता
5. Patient को पूरी जानकारी देना

निष्कर्ष:—

   इलाज नाम से नहीं, नीयत से सफल होता है। जब तक इलाज को व्यक्तिगत उपलब्धि माना जायेगा, Outcome को ब्रांड समझा जायेगा और Rehabilitation को खतरा माना जायेगा। तब तक मरीज देर से ठीक होंगे, सिस्टम अधूरा रहेगा।
     फिजियोथेरेपिस्ट इलाज का विरोधी नहीं, इलाज का अंतिम अध्याय है। और जो डॉक्टर यह समझ लेता है, वह केवल प्रसिद्ध नहीं विश्वसनीय बनता है।


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