शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025

काश सर्जरी के बाद Physiotherapist की बात मान ली होती तो — आज घुटना जाम न होता 😕

🩺 “काश सर्जरी के बाद Physiotherapist की बात मान ली होती तो — आज घुटना जाम न होता”

      सर्जरी के बाद जब कोई मरीज घर लौटता है, तो उसे लगता है कि अब सब कुछ ठीक हो गया है। टांके कट गए, रिपोर्ट नॉर्मल है, दर्द थोड़ा-बहुत रह भी गया तो “समय के साथ ठीक हो जाएगा।” लेकिन यही सोच आगे चलकर सबसे बड़ी गलती साबित होती है। और फिर वही मरीज बाद में पछताते हुए कहते हैं —

“काश सर्जरी के बाद Physiotherapist की बात मान ली होती, तो आज घुटना जाम न होता”

🦵 सर्जरी इलाज का अंत नहीं, शुरुआत है रिकवरी की यात्रा का—
       कई लोग यह मान लेते हैं कि सर्जरी के बाद उनकी बीमारी पूरी तरह खत्म हो गई। जबकि सच्चाई यह है कि सर्जरी तो सिर्फ मैकेनिकल रिपेयर है — असली चुनौती शरीर को फिर से functional बनाना होता है।
      घुटना बदलवाने के बाद, या किसी भी ऑर्थोपेडिक सर्जरी के बाद, अगर समय पर Physiotherapy शुरू नहीं की जाती, तो शरीर का वह हिस्सा धीरे-धीरे कठोर (stiff) हो जाता है। मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं, जोड़ों में रक्त प्रवाह कम हो जाता है और movement restriction शुरू हो जाती है।

🧠 लोग क्यों नहीं मानते Physiotherapist की बात ?
🔸उन्हें लगता है कि दर्द का मतलब है “कुछ गड़बड़ है” — जबकि सर्जरी के बाद हल्का दर्द healing process का हिस्सा होता है।
🔸वे सोचते हैं कि “जब तक डॉक्टर नहीं कहे, तब तक Physiotherapy क्यों शुरू करें।”
🔸कुछ लोग YouTube या पड़ोसी के बताए एक्सरसाइज से ही संतुष्ट हो जाते हैं, जबकि हर सर्जरी का rehab protocol अलग होता है।
🔸कुछ लोग आलस या डर की वजह से फिजियोथेरेपिस्ट की हिदायतों को टालते रहते हैं।
लेकिन यह सब मिलकर मरीज की mobility छीन लेते हैं — और घुटना या जोड़ धीरे-धीरे जाम हो जाता है।

🧩 क्या होता है जब सर्जरी के बाद Physiotherapy नहीं होती ?
1. घुटने या जोड़ का जाम होना (Stiffness)-
बिना मूवमेंट के टिश्यू सिकुड़ जाते हैं, जोड़ों में एडहेशन्स बनने लगते हैं।

2. मांसपेशियों की कमजोरी (Muscle Atrophy)-
इस्तेमाल न होने पर मांसपेशियां कमजोर और पतली हो जाती हैं।

3. दर्द और सूजन बढ़ना-
खून का संचार कम होने से सूजन घटने की बजाय और बढ़ती है।

4. चलने-फिरने में कठिनाई-
मरीज को बैसाखी, स्टिक या किसी की मदद लेनी पड़ती है।

5. फिर से सर्जरी की नौबत-
कुछ मामलों में जोड़ इतना कठोर हो जाता है कि Manipulation under anesthesia (MUA) करनी पड़ती है।

💡 Physiotherapist की भूमिका सर्जरी के बाद—
Physiotherapist न सिर्फ एक्सरसाइज सिखाते हैं, बल्कि Rehab Protocol को वैज्ञानिक ढंग से आगे बढ़ाते हैं —
✔️वे जानते हैं कि कौन सी एक्सरसाइज कब शुरू करनी है,
✔️किस मूवमेंट की सीमा तक जाना सुरक्षित है,
✔️दर्द कम करने और सूजन घटाने के कौन से तरीके अपनाने हैं।
Physiotherapist आपकी mobility, strength, और confidence — तीनों को वापस लाते हैं।

🕰️ देरी का मतलब नुकसान—
     Physiotherapy में “कल से शुरू करेंगे” वाली सोच सबसे खतरनाक होती है। हर एक दिन की देरी, आपकी रिकवरी को सप्ताहों पीछे धकेल देती है।
याद रखिए — सर्जरी से इलाज शुरू होता है, लेकिन Physiotherapy से जीवन वापस आता है।

❤️ मरीजों के लिए संदेश—
      अगर आपने हाल ही में कोई सर्जरी करवाई है — चाहे वह घुटने, कंधे, रीढ़ या हड्डी से जुड़ी हो —तो अपने Physiotherapist से तुरंत संपर्क करें।
उनकी सलाह को हल्के में न लें, क्योंकि वही आपको operation table से उठाकर फिर से चलने की ताकत देते हैं।

🩵 अंत में एक सच्ची सीख—

कई मरीजों की जुबान पर यही शब्द आते हैं —

“काश सर्जरी के बाद Physiotherapist की बात मान ली होती, तो आज मेरा घुटना जाम न होता।”

आप इस गलती को दोहराएं नहीं।
Physiotherapy को recovery का दिल समझिए — क्योंकि बिना फिजियोथेरेपी के सर्जरी सिर्फ आधा इलाज है।


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