“जब भर्ती प्रक्रिया में वही Medical Doctors, जो मरीजों को चलना-फिरना सिखाने के लिए Physiotherapists पर निर्भर रहते हैं, उन्हें ‘Rehabilitation Worker’ कहकर कमतर साबित करने की कोशिश करते हैं - तब यह सिर्फ शब्दों का उपहास नहीं, बल्कि संपूर्ण Physiotherapy Profession की वैज्ञानिक पहचान, सम्मान और गरिमा को व्यवस्थित रूप से कमजोर करने का प्रयास बन जाता है।”
भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था में Physiotherapy एक ऐसा स्तंभ है, जिसके बिना आधुनिक चिकित्सा की संपूर्णता की कल्पना ही संभव नहीं। सर्जरी हो, न्यूरोलॉजी हो, आर्थोपेडिक्स हो, स्पोर्ट्स इंजरी हो, या क्रॉनिक दर्द—हर जगह मरीज का वास्तविक functional recovery वहीं होता है जहाँ Physiotherapist होता है। लेकिन विडंबना देखिए कि उसी Physiotherapist को भर्ती प्रक्रिया के समय ‘Rehabilitation Worker’ जैसा पदनाम देकर उसकी पहचान, विशेषज्ञता और वर्षों की कठोर वैज्ञानिक शिक्षा को एक ही झटके में कमतर साबित कर दिया जाता है।
यह केवल एक शब्द का मामला नहीं है। यह mindset, hierarchy, power-structure और systemic disrespect का एक संगठित रूप है—जिसे अगर समय रहते नहीं समझा गया, तो Physiotherapy Profession की वैज्ञानिक गरिमा लगातार गिरती जाएगी।
🤔वास्तव में Rehabilitation Worker कौन है ?
“Rehabilitation Worker” वह स्वास्थ्यकर्मी होता है जो शारीरिक, मानसिक या कार्यात्मक समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों को उनके दैनिक जीवन में पुनः सक्षम बनाने में सहायता करता है। यह डॉक्टर, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट और अन्य rehabilitation विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में काम करता है। इसका मुख्य कार्य मरीज को physiotherapist के प्रोटोकॉल पर exercises follow करवाना, चलने-फिरने में सहायता देना, mobility aids का उपयोग सिखाना, घर पर rehabilitation support प्रदान करना और मरीज की प्रगति को रिकॉर्ड करना होता है। Rehabilitation Worker किसी भी treatment का plan स्वयं नहीं बनाता, बल्कि विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित plan को लागू करने में मदद करता है—इसलिए इसका role पूरी तरह supportive और implementation-based होता है।
Rehabilitation Worker की योग्यता:—
Rehabilitation Worker बनने के लिए आमतौर पर 6 महीने का certificate या diploma-based rehabilitation course किया जाता है, इस परीक्षा को National Board of Examination in Rehabilitation (NBER) आयोजित करता है, और पास होने पर यह प्रमाणपत्र जारी करता है। इसे कई संस्थान “Rehabilitation Assistant”, “Multipurpose Rehabilitation Worker (MRW)” या “Community-Based Rehabilitation Worker (CBRW)” नाम से पुकारते हैं।
1. यहाँ physiotherapists का उपहास क्यों? — क्योंकि हमारी व्यवस्था विशेषज्ञता नहीं, hierarchy देखकर चलती है—
भारत का चिकित्सा तंत्र अभी भी उस पुराने औपनिवेशिक मॉडल से बाहर नहीं निकला, जहाँ हर कार्य को ‘high’ और ‘low’ पदों में विभाजित किया जाता था। अच्छे-बुरे, बड़े-छोटे, superior-inferior का यह खेल आज भी जारी है। इस मानसिकता का सीधा असर Physiotherapy जैसे स्वतंत्र, वैज्ञानिक और evidence-based Profession पर पड़ता है।
भर्ती बोर्ड के डॉक्टर इस hierarchy को बनाए रखने के लिए Physiotherapists को एक ऐसे फ्रेम में दिखाना चाहते हैं, जहाँ वे ‘doctor-led rehabilitation unit’ का हिस्सा तो हों, लेकिन स्वतंत्र clinical professionals के रूप में नहीं।
इसलिए "Physiotherapist" की जगह "Rehabilitation Worker" लिख देना उन्हें मानसिक संतोष देता है— क्योंकि यह स्थिति उस परंपरागत power-structure को सुरक्षित रखती है।
2. ‘Rehabilitation Worker’ शब्द के पीछे छिपा वास्तविक उद्देश्य: योगदान को छोटा दिखाना—
मरीज को बिस्तर से उठाना, मांसपेशियाँ एक्टिव करना, जोड़ों को चालू करना, walking pattern ठीक करना, posture सही करना—ये सब कोई साधारण कौशल नहीं, बल्कि जटिल न्यूरो-मस्क्युलो-स्केलेटल science पर आधारित clinical decisions हैं।
कल्पना कीजिए:
✔️एक Spinal Cord Injury patient चलना तभी शुरू करता है जब Physiotherapist उसकी gait re-training करता है।
✔️Knee replacement के बाद मरीज तभी functional होता है जब Physiotherapist mobilization और strengthening करता है।
✔️Stroke मरीज का जीवन तभी सामान्य होता है जब Physiotherapist उसका neuro-motor recovery कराता है।
लेकिन भर्ती में इस पूरे science को ‘Rehabilitation Work’ कह दिया जाता है। यह जानबूझकर किया गया downplay है। क्योंकि जब आप किसी प्रोफेशन को छोटा दिखाना चाहते हैं, तो आप उसकी Terminology पहले बदलते हैं।
3. Medical Doctors की dependency और disrespect दोनों समानांतर चलते हैं—
सबसे बड़ा विरोधाभास यही है:—
✔️ICU से लेकर OPD तक डॉक्टर Physiotherapist पर निर्भर रहते हैं।
✔️Ortho surgeon बिना PT के अपनी सर्जरी को सफल नहीं मानता।
✔️Neurologist recovery का श्रेय PT की मेहनत को देता है।
✔️Pediatrician developmental delays में PT को अनिवार्य मानते हैं।
❔लेकिन भर्ती में आते ही वही डॉक्टर Physiotherapists को “Rehabilitation Workers” कहकर उनकी पहचान घटाने की कोशिश क्यों करते हैं?
👉क्योंकि dependency के बावजूद hierarchy उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण होती है। उनकी medical supremacy की सोच को चोट पहुँचती है जब एक स्वतंत्र और वैज्ञानिक profession बराबरी की कुर्सी पर बैठता दिखता है।
4. यह सिर्फ उपहास नहीं—यह “Identity Suppression” है—
किसी profession को कमजोर करने के लिए तीन चीजें की जाती हैं:-
1. उसका पदनाम छोटा किया जाता है
2. उसकी विशेषज्ञता को skill या service बताकर कम आंका जाता है
3. भर्ती और नियमों में उसकी autonomy सीमित कर दी जाती है
भारत में Physiotherapists के साथ तीनों हो रहा है।
“Rehabilitation Worker” एक ऐसा शब्द है जो professionalism, authority, autonomy और scientific domain—सबको छींटाकशी के माध्यम से सीमित करता है।
5. असली समस्या—Physiotherapy को ‘Medical Science’ नहीं, ‘post-treatment service’ माना जाता है—
कई मेडिकल प्रोफेशनल्स के मन में यह गलत धारणा बैठी हुई है कि Physiotherapy ‘सर्जरी के बाद का काम’ है। वे इसे independent medical science के रूप में नहीं देखते।
इसलिए वे भर्ती में Physiotherapists को उसी lens से देखते हैं—
एक supportive भूमिका, न कि एक clinical expert।
लेकिन ground reality यह है कि Physiotherapy किसी भी chronic illness, musculoskeletal disorder, neurological condition, sports injury, pediatric developmental delay और geriatric care की first-line scientific intervention हो सकती है।
दुर्भाग्य ये है कि यह intelligence न तो भर्ती बोर्ड समझता है और न ही कई medical administrators।
6. यह उपहास पूरी व्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है—मरीज सहित:
जब आप Physiotherapist को merely “Rehabilitation Worker” कहकर उसकी पहचान घटाते हैं, तो आप:
❗उसकी clinical decision-making को सीमित करते हैं
❗उसकी treatment autonomy को कम करते हैं
❗patient management में उसकी भूमिका को downplay करते हैं
❗ultimately, मरीज को मिलने वाली care की गुणवत्ता घटा देते हैं
क्योंकि कोई भी प्रोफेशन तभी flourish करता है, जब उसे सम्मान और scientific identity दोनों मिले। Systemic disrespect मरीज की recovery तक पहुँचती है।
7. असली समाधान कहाँ है?—“Recognition, Regulation और Representation”—
Physiotherapy Profession को इस उपहास से बचाने के लिए तीन चीजें अति आवश्यक हैं:
1. Independent Physiotherapy Council—
जब तक Physiotherapy का अपना regulatory status नहीं होगा, तब तक दूसरे पेशे इसकी पहचान तय करते रहेंगे।
2. Recruitment Rules में स्पष्ट designation—
हर जगह स्पष्ट रूप से “Physiotherapist” लिखा जाए— न कि rehab worker, assistant worker, technician या helper।
3. Physiotherapists का policy-level representation—
जब फैसले Physiotherapists के बिना लिए जाते हैं, तो identity संकट पैदा होता है। Professional dignity तभी बचेगी जब Professionals खुद नीतियाँ बनायेंगे।
8. अंतिम और सबसे कठोर सच—
Physiotherapists को ‘Rehabilitation Worker’ कहना एक अपमान नहीं एक रणनीति है। एक ऐसी रणनीति जो autonomy कम करती है, hierarchy बढ़ाती है और power-structure को मजबूत बनाती है।
लेकिन अब समय वहाँ आ गया है जहाँ Physiotherapy Profession को इस identity suppression के खिलाफ वैज्ञानिक, संगठित और तर्कसंगत आवाज उठानी होगी— क्योंकि सम्मान कोई देन नहीं होता,उसे लगातार संघर्ष और प्रमाण से अर्जित किया जाता है।
“यह ब्लॉग केवल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है—कृपया इसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाएँ, ताकि समाज में सही जानकारी और समझ फैल सके।”
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