Monday, May 7, 2018

डॉ. बृजेश कुमार बंसीवाल (फिजियोथेरेपिस्ट) एक परिचय

डॉ. बृजेश कुमार बंसीवाल जगतपुरा में स्थित पृथासावी हॉस्पिटल में कार्यरत हैं। यहाँ पर फिजियोथैरेपी डिपार्टमेंट है जिसका नाम पिंकसिटी फिजियोथेरेपी और रिहैबिलिटेशन सेंटर है। यह अस्पताल जगतपुरा में मुख्य सड़क जगतपुरा रेलवे फ्लाईओवर के पूर्वी छोर पर स्थित है और इनकी एक ओर फिजियोथेरेपी की शाखा प्रताप नगर सेक्टर 3, हल्दीघाटी मार्ग, टोंक रोड पर स्थित है। डॉ. बृजेश कुमार बंसीवाल को सत्र 2022 में महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सीतापुरा, जयपुर से मास्टर ऑफ फिजियोथेरेपी (ऑर्थोपेडिक) की उपाधि प्रदान की गई, तथा इससे पहले सत्र 2013 में इन्होंने राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर से बेचलर ऑफ फिजियोथेरेपी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. बृजेश कुमार बंसीवाल ने अपनी प्रेक्टिस के दौरान हड्डी और मांसपेशियों की तकलीफ से पीड़ित मरीजों का ईलाज किया। डॉ. बंसीवाल ने अपनी प्रेक्टिस के दौरान ऐसे मरीज भी देखे जो वर्षों से गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटने का दर्द और लकवा आदि से पीड़ित थे, परंतु क्रॉनिक कंडीशन के बाद में भी उन मरीजों को कहीं से भी सही परामर्श और मार्गदर्शन नहीं मिला। अंत में उन मरीजों को डॉ. बंसीवाल ने उचित फिजियोथैरेपी चिकित्सा पद्धति से ठीक किया और उन्हें पूर्णतया आराम दिलाया। डॉ. बंसीवाल ने अपनी प्रैक्टिस के दौरान ऑर्थोपेडिकन्यूरोलॉजी और स्पोर्ट्स इंजरी के मरीज देखें और उनका निदान भी किया। डॉ. बंसीवाल ने बहुत कम समय में फिजियोथेरेपी प्रेक्टिस के दौरान उन मरीजों की फिजिकली प्रॉब्लम्स के कारण जो मानसिक अवसाद से घिर चुके थे, उनको भी सही ईलाज करके मानसिक अवसाद से बाहर निकाला जो अपना ईलाज सही से नहीं करवा सके थे| प्रक्टिस के दौरान ऐसे मरीज भी देखें जो लकवा या सिर की गंभीर चोट के कारण अपने शरीर की सम्पूर्ण ताकत खो चुके थे, परंतु डॉ. बंसीवाल के फिजियोथेरेपी ईलाज के बाद आज वे लोग अपनी दैनिक क्रिया के सारे काम स्वयं करते हैं "
    भौतिक साधनों के प्रयोग से शारीरिक व्याधियों का उपचार करने की विधि को फिजियोथेरेपी या भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) कहते हैं। व्यायाम के जरिए मांसपेशियों को सक्रिय बनाकर किए जाने वाले ईलाज की कलाभौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) या फिजियोथेरेपी या 'फिजिकल थेरेपी' ( Physiotherapy ) कहलाती है। चूंकि इसमें बहुत कम दवाईयाँ लेनी पडतीं इसलिए इनके दुष्प्रभावों का प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि फिजियोथेरेपी तब ही अपना असर दिखाती है जब इसे समस्या दूर होने तक नियमित किया जाये।
    अगर शरीर के किसी हिस्से के जोड़ व मांसपेशियों में दर्द है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। फिजियोथेरेपी की सहायता लेने पर आप बहुत कम दवा का सेवन करके भी अपनी तकलीफ दूर कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए केवल फिजियोथेरेपिस्ट फिजियोथेरेपिस्ट की ही सलाह अत्यंत आवश्यक है।
     फिजियोथेरेपी  का मतलब जीवन को पहचानना और उसकी गुणवत्ता को बढना है, साथ ही साथ लोगों को उनकी शारीरिक कमियों से बाहर निकालना, निवारण, ईलाज बताना और पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर बनाना हैं। भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक क्षेत्र में अच्छी तरह से काम करने में मदद देता हैं। फिजियोथेरेपी  में डाक्टर, भौतिक चिकित्सक, मरीज, पारिवारिक लोग और दूसरे चिकित्सको का बहुत योगदान होता हैं।
भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) क्या है?  यह एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें रोगी का ईलाज कम दवा के भी भौतिक वस्तुओं, मशीनों व व्यायाम द्वारा किया जाता है। इसमें बिजली से लेकर लेजर तक कई साधनों का उपयोग होता। आज वर्तमान में यह बहुत विकसित विज्ञान का रूप ले चुका है। इसमें ध्यान रखने योग्य बात यही है कि किसी अनुभवी फिजियोथेरेपिस्ट से ही फिजियोथेरेपी करानी चाहिए। जरा सी लापरवाही और देरी के कारण हमें जिंदगी भर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) का इतिहास क्या है ?  दूसरे विश्व युद्ध के पीडि़त फौजियों व आमजन के पुनर्वास के लिए वैज्ञानिकों द्वारा इस पद्धति की खोज की गई। भारत में सन 1962 से इसका विकास आरंभ हुआ। सभर के दशक में इसकी पढ़ाई शुरू हुई जबकि अस्सी के दशक में इसका बहुत तेजी से विकास हुआ। औपचारिक शिक्षा के नाम पर पहले डिप्लोमा प्रारंभ हुआ। परन्तु कुछ समय बाद डिप्लोमा बंद कर दिया गया। इसलिए इसकी डिग्री भी पाँच साल की कर दी गई।
इस पद्धति में किन-किन बीमारियों का समाधान है ?  बदलती जीवनशैली के कारण हड्डी और मांसपेशियों से संबंधित नई-नई शारीरिक बीमारियां उत्पन्न हो रही है। जिस कारण आज प्रतेक व्यक्ति को फ़िज़ियोथेरेपिस्ट (भौतिक चिकित्सक) की जरूरत है। अगर जटिल बीमारियों की बात की जाए तो जोड़ों का दर्द, कंधे का दर्द, लकवा, ब्रेन अटैक जैसी भयानक बीमारीयों का ईलाज बिना दवाओ के भी संभव है। अधिकांश व्याधियों में आयु अनुसार व्यायाम बताये जाते हैं।
आम जन को दैनिक जीवन में सेहत के लिहाज से क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए ?   रोजमर्रा की व्यस्त दिनचर्या के कारण बिगड़ रहे स्वास्थय से बचाव के लिए हमे यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सुबह जल्दी उठें व ज्यादा पानी पीऐं। फ़िज़ियोथेरेपिस्ट की देख रेख में अच्छे पोस्चर में कसरत को दिनचर्या मे शामिल करें। महीने मे दो उपवास अवश्य रखें। निरंतर कसरत करें व दिन मे न सोएं। कामकाज के समय अपने सही पोस्चर में आसन का विशेष ध्यान रखें। सोने के लिए फोम वाले गद्दों के प्रयोग से परहेज करें। इस प्रकार के उपायों से हम स्वस्थ जीवन की आशा कर सकते हैं।
   भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) या फिज़ियोथेरेपी (Physiotherapy) एक स्वास्थ्य प्रणाली है जिसमे लोगों का परीक्षण किया जाता है और बिमारी का पता लगाया जाता है एवं उपचार प्रदान किया जाता हैं ताकि वे आजीवन अधिकाधिक गतिशीलता एवं क्रियात्मकता विकसित करें और उसे बनाये रख सकें. इसके अन्तर्गत वे उपचार आते हैं जिनमे व्यक्ति की गतिशीलता आयु, चोट, बीमारी एवं वातावरण सम्बन्धी कारणों से खतरे में पड़ जाती है।
      भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) का सम्बन्ध जीवन की उत्कृष्टता एवं गतिशीलता के सामर्थ्य को पहचानने एवं उसको अधिकतम करने के साथ साथ उसका प्रोत्साहन, बचाव, उपचार, सुधार एवं पुनर्सुधार करने से है। इनमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं सामाजिक कल्याण शामिल हैं। इसके अन्तर्गत भौतिक चिकित्सक (फिजियोथेरेपिस्ट), मरीज़ अन्य स्वास्थ्य व्यवसायी, परिवार, ध्यान रखने वालों और समुदायों के मध्य संपर्क की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसमे भौतिक चिकित्सक के विशिष्ट ज्ञान और कुशलताओं द्वारा गतिशीलता की क्षमता का मूल्याङ्कन करके, सहमति के साथ ट्रीटमेंट के प्रोटोकॉल निर्धारित किये जाते हैं। भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) फिजियोथेरेपिस्ट की देख-रेख में एक सहायक (PTA) द्वारा की जाती है।
      भौतिक चिकित्सक किसी व्यक्ति के रोग का इतिहास जान कर और परीक्षण करके रोग की पहचान करने के बाद उपचार की योजना तैयार करते हैं और आवश्यक होने पर इसमें प्रयोगशाला एवं छवि (बिम्ब) परीक्षण भी सम्मिलित करवाते हैं। इस कार्य में वैद्युतिक निदानशास्त्र परीक्षण (इलेक्ट्रोडायग्नोस्टिक टेस्टिंग), उदाहरण के लिए इलेक्ट्रोमयोग्रैम्स (electromyograms) और स्नायु-चलन वेग परीक्षण (नर्व कंडक्शन वेलोसिटी टेस्टिंग) भी उपयोगी हो सकती हैं।
      भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) के कुछ विशेषज्ञता क्षेत्र हैं, जैसे कार्डियोपल्मोनरी चिकित्सा (Cardiopulmonary), जराचिकित्सा (Geriatrics), स्नायु संबन्धी चिकित्सा (Neurologic), अस्थि-रोग चिकित्सा (Orthopaedic) और बालरोग चिकित्सा (Paediatrics) इत्यादि. भौतिक चिकित्सक कई प्रकार से कार्य करते हैं, जैसे, बाह्य रोगी क्लिनिक या कार्यालय, आंत्र-रोगी पुनर्वास केन्द्र, निपुण परिचर्या सुविधाएं, प्रसारित संरक्षण केन्द्र, निजी घर, शिक्षा एवं शोध केन्द्र, स्कूल, मरणासन्न रोगी आश्रम, औद्योगिक अथवा अन्य व्यावसायिक कार्यक्षेत्र, फिटनेस केन्द्र तथा खेल प्रशिक्षण सुविधाएं आदि।

8 comments:

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