मंगलवार, 16 दिसंबर 2025

हर दर्द का मतलब ऑपरेशन नहीं होता: फिर भी क्यों मामूली Muscular और Joint Pain में भी लोग सीधे Orthopedic Surgeon के पास भागते हैं?

हर दर्द का मतलब ऑपरेशन नहीं होता: फिर भी क्यों मामूली Muscular और Joint Pain में भी लोग सीधे Orthopedic Surgeon के पास भागते हैं?


भूमिका: जब दर्द एक “बीमारी” नहीं, बल्कि एक संदेश होता है


मानव शरीर दर्द को यूँ ही पैदा नहीं करता।
दर्द कोई “दुश्मन” नहीं, बल्कि शरीर की भाषा है —
एक चेतावनी, एक संकेत, एक अनुरोध कि
“कुछ गलत हो रहा है, सुनो मुझे।”

लेकिन आधुनिक समाज में यह समझ लगभग समाप्त हो चुकी है।
आज दर्द = MRI
दर्द = Injection
दर्द = Surgery

यही कारण है कि मामूली मांसपेशीय खिंचाव (Muscle Strain), जोड़ों की अकड़न (Joint Stiffness), पोश्चर की गलती, या थकान से उत्पन्न दर्द में भी लोग सीधे Orthopedic Surgeon के क्लिनिक की ओर दौड़ पड़ते हैं।

क्यों?


1. डर का मनोविज्ञान: दर्द नहीं, भविष्य का भय लोगों को दौड़ाता है:—


अधिकांश लोग दर्द से नहीं डरते, वे डरते हैं—

“कहीं यह Slip Disc तो नहीं?”
“कहीं हड्डी घिस तो नहीं गई?”
“कहीं चलना बंद न हो जाए?”


यह डर– Google, YouTube और पड़ोसियों की सलाह से कई गुना बढ़ जाता है।

➡️ “मेरे जानने वाले को भी ऐसा ही दर्द था, ऑपरेशन करना पड़ा”


और यहीं से दर्द एक अनुभूति नहीं, बल्कि एक आपातकाल बन जाता है।

2. Orthopedic Surgeon = Final Authority का भ्रम:—


समाज में एक गहरी धारणा बैठ चुकी है—

 “हड्डी और जोड़ का दर्द है तो Orthopedic Surgeon ही सही डॉक्टर है”


यह बात आंशिक रूप से सही है, लेकिन पूरी सच्चाई नहीं।

Orthopedic Surgeon का प्रशिक्षण मुख्यतः होता है—
🚩Fracture
🚩Severe degeneration
🚩Deformity
🚩Structural damage
🚩Surgery-based correction

लेकिन–Muscle imbalance, soft tissue injury, posture-related pain, movement dysfunction इनका इलाज अधिकतर—➡️ Non-surgical, conservative और Rehabilitative Physiotherapy होता है।

🤔 फिर भी लोग पहले चरण में ही “सर्जन” के पास पहुँच जाते हैं।

3. “एक्स-रे दिखाओ, MRI कराओ” — मशीन पर बढ़ता विश्वास:—


आज इलाज का मतलब हो गया है—
🔸रिपोर्ट
🔸फिल्म
🔸इमेज
लेकिन सच्चाई यह है कि—
🔹 MRI में 40 वर्ष के स्वस्थ व्यक्ति की भी disc bulge दिख सकती है
🔹 X-ray में degeneration लिखा मिल सकता है, दर्द न हो तब भी
🔹 रिपोर्ट संरचना दिखाती है, कार्य (Function) नहीं

दर्द अक्सर पैदा होता है—
🟡Muscle spasm
🟡Joint stiffness
🟡Nerve sensitivity
🟡Faulty movement pattern

लेकिन रिपोर्ट देखकर मरीज और डॉक्टर दोनों का ध्यान “कटिंग-ठोकिंग” की ओर चला जाता है।

4. जल्दी राहत की लालसा: Injection और Surgery का आकर्षण:—


Physiotherapy समय मांगती है।
Exercise धैर्य और मेहनत मांगती है।
Lifestyle सुधार अनुशासन मांगता है।

इसके विपरीत—

Injection = 10 मिनट में आराम 

Surgery = “Permanent solution” का भ्रम

लोग पूछते हैं—

“कुछ ऐसा कर दीजिए डॉक्टर साहब जिससे दर्द तुरंत खत्म हो जाए”


यही मानसिकता लोगों को Orthopedic Surgeon के दरवाजे तक खींच ले जाती है।

5. समाज में Physiotherapy की गलत छवि:—


आज भी बहुत से लोग मानते हैं—

“Physio तो तेल-मालिश है”
“Exercise से क्या होगा, क्यों इतनी मेहनत करें ?”
“यह तो बाद में करवाएँगे, पहले डॉक्टर को दिखाते हैं”
“अगर डॉक्टर बोलेगा तो फिजियोथेरेपी करवा लेंगे ”

जबकि सच्चाई यह है कि—
✔️70–80% Musculoskeletal pain बिना दवा, बिना इंजेक्शनबिना ऑपरेशन केवल सही अनुशासनात्मक Physiotherapy से ठीक हो जाते है

लेकिन यहाँ जब तक दर्द बहुत बढ़ न जाए और सर्जरी की नौबत ना आ जाये जब तक Physiotherapist को “विकल्प” ही माना जाता। इसे ही मरीज की अंधी मानसिकता कहते है 

6. डॉक्टर-सेंट्रिक नहीं, सिस्टम-सेंट्रिक समस्या:—

यह दोष केवल मरीजों का नहीं है। पूरा मेडिकल सिस्टम का है—

❗poor referral system (मरीज को फिजियो के पास नहीं भेजना)

❗Awareness gap of patients (मरीजों में जागरूकता की कमी)

❗Time pressure (ड्रग्स लेकर जल्दी ठीक होने की लालसा)

❗Commercial setup (मरीज को जानबूझकर फिजियो से दूर रखा जाता है, जिससे सर्जिकल doctors को बार बार followup मिलता है)

सब मिलकर Conservative management को पीछे धकेलते हैं। और मरीज महीनों और वर्षों तक doctors के चक्कर काटता रहता है।

कई बार Physiotherapy को लिखा जाता है— “अगर न ठीक हो तो करवा लेना।”

जबकि होना चाहिए— “पहले यही करना है।”


7. दर्द के प्रकार जिन्हें ऑपरेशन की ज़रूरत नहीं होती (अधिकतर):—


✔️ Cervical & Lumbar Muscle Pain

✔️ Frozen shoulder (early & mid stage)

✔️ Knee pain without severe structural damage

✔️ Tennis / Golfer’s elbow

✔️ Postural back pain

✔️ Early osteoarthritis

✔️ Muscle spasm due to stress or overuse

इनमें ऑपरेशन नहीं, समझ, धैर्य और सही मार्गदर्शन के साथ Physiotherapy चाहिए।


8. ऑपरेशन कब सच में ज़रूरी होता है? (ईमानदार सच्चाई):—


ऑपरेशन जरूरी होता है जब—

🔴Progressive neurological deficit हो

🔴Fracture unstable हो

🔴Severe structural compression हो

🔴Conservative treatment बार-बार असफल हो

🔴जीवन की गुणवत्ता गंभीर रूप से गिर चुकी हो

लेकिन ये केस अल्पसंख्यक होते हैं, बहुसंख्यक नहीं।


9. सही रास्ता: दर्द से डरने के बजाय उसे समझना:—


दर्द पूछता है—

❔आप कैसे चलते हैं?

❔कैसे बैठते हैं?

❔कितना हिलते हैं?

❔कितना सोते हैं?

❔कितना तनाव लेते हैं?

दर्द कहता है—

 “मुझे काटो मत, पहले समझो”


10. निष्कर्ष: दर्द का इलाज चाकू नहीं, चेतना से शुरू होता है:—


हर दर्द ऑपरेशन की माँग नहीं करता।
हर MRI सर्जरी का आदेश नहीं होती।
हर जोड़ काटने के लिए नहीं बना।

शरीर मरम्मत चाहता है, न कि तुरंत परिवर्तन।

जब समाज यह समझ लेगा कि—

 “दर्द = सर्जन नहीं,
दर्द = संकेत है”


तब शायद Physiotherapy “अंतिम उपाय” नहीं, पहला कदम बनेगी।

एक अंतिम पंक्ति

दर्द को दबाने की नहीं, समझने की ज़रूरत है — क्योंकि जो दर्द आपको रोक रहा है, वही सही इलाज आपको आगे बढ़ा सकता है।


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