Tuesday, November 13, 2018

फिजियोथेरेपी के अंतर्गत पराबैंगनी किरणों के द्वारा ईलाज और इसके लाभ


      सूर्य की किरणों के द्वारा पराबैंगनी किरणें उत्सर्जित होती हैं । पराबैंगनी प्रकाश उच्चतम प्रकाश की आवृत्ति है , जो प्रकाश की उच्चतम आकृति पर भी अपना प्रभाव दिखती है । ये किरणें द्रवित मर्करी को उच्च ताप पर किरणें उत्सर्जित होती है , जिसे मानव आँखों द्वारा ग्रहण करने पर किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता । इन पराबैगनी किरणों को कृत्रिम स्रोत के रूप में धातु की छडों , कार्बन और क्वार्टज ट्यूब के मध्य विद्युत चाप के रूप प्राप्त करते हैं । 

पराबैंगनी किरणों से उपचार-
पराबैंगनी प्रकाश उपचार एक अदृश्य प्रकाश स्पेक्ट्रम के एक विशेष उपकरण के द्वारा त्वचा रोग और सोरायसिस और अन्य प्रकार के त्वचा रो का उपचार किया जाता है , जो कि निम्नलिखित है-
( 1 ) घाव को भरता है । 
( 2 ) संक्रमण को कम करता है । 
( 3 ) पिग्मेंटेशन आदि ( श्वेत दाग ) । 

    पराबैंगनी किरणों द्वारा अधिकतर सोरायसिस और एक्जिमा , छाजन आदि त्वचा सम्बन्धी रोगों का उपचार किया जाता है । इसमें रोगियों व त्वचा के प्रकार अनुरूप उपचार किया जाता है । अधिकतर रोगियों को 18 - 30 बार उपचार के सुधार में परिवर्तन व बदलाव किया जाता है । मरीज की त्वचा के प्रकार के आधार पर पराबैंगनी विकिरण चिकित्सा की तीव्रता अलग अलग होती है । गोरी त्वचा वाले व्यक्ति के लिए कम खुराक और साँवली त्वचा वालों के लिए अधिक खुराक या मजबूत तरीके से छोटे भाग या न्यूनतम पर्विल डोज (औषधि की मात्रा ) के ऊपर उपचार करना चाहिए । कोई नकारात्मक परिणाम न आने पर 24 घण्टे के बाद उपचार का दूसरा चरण करना चाहिए । सोरायसिस में सामान्य रूप से चार से पाँच सप्ताह के लिए तीन से पाँच बार पराबैंगनी विकिरण की कुछ मात्रा कम करनी होगी । 

उपचार का प्रभाव-  पराबैंगनी प्रकाश उपचार मुख्य रूप से गम्भीर सोरायसिस के मामलों व अन्य शरीर के किसी त्वचा के संक्रमण वाले भाग का उपचार किया जाता है । इसके अतिरिक्त विटिलिगो एटपिक की सूजन और एलर्जी से सम्बन्धित रोग , जैसे खजली लाल त्वचा और अन्य रोगों का उपचार इस विधि से किया जाता है । इसके अलावा निम्न लिखित प्रभाव भी शामिल हैं-
( 1 ) इस चिकित्सा के माध्यम से रक्त नलिकाओं में रक्त प्रवाह बढ़ता है । अत : इस उपकरण का प्रयोग करने से पूर्व इसकी तीव्रता और समय काल को ध्यान में रखना चाहिए ।
( 2 ) सूर्य की किरणों से प्राप्त विटामिन ' डी ' त्वचा में वसा संग्रहित रूप में जम जाता है। 
( 3 ) इस चिकित्सा के माध्यम से संक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है । 
( 4 ) घाव को भरने में सहायता मिलती है । 
( 5 ) पराबैंगनी किरणों की सहायता से तनाव उत्पन्न होता है । 
( 6 ) त्वचा के घाव को पराबैंगनी किरणें प्रभावित करती हैं । 
( 7 ) एन्टीबायोटिक व फोटोसेन्सेशन प्रभाव । 
( 8 ) कैंसर में बदलाव लाने के लिए इस चिकित्सा को लगभग चार सप्ताह तक उपयोग किया जाता है । पराबैंगनी किरणों का डी . एन . ए . की कोशिका पर प्रभाव पड़ता है जिससे विभाजन की प्रक्रिया कोशिकाओं में होती है । 

पराबैंगनी किरणों से सावधानियाँ - इन विकिरण के सम्पर्क के समय त्वचा की औसत या आयु कितनी होगी , इसका सही ज्ञान होना चाहिए नहीं तो त्वचा में कैंसर की बढ़ने की सम्भावना ज्यादा होगी और इस सम्भावना को दूर करना चाहिए । इस बात का विशेष ध्यान पराबैंगनी चिकित्सा के दौरान रखना होता है । त्वचा के लिए पराबैंगनी किरणें अधिक संवेदनशील होती हैं । दवाइयों का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों के प्रति इन विकिरण का विपरीत नतीजा मिलता है । पराबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार के दौरान आँखों को क्षति से बचाना चाहिए । इसके लिए उपयुक्त चश्मों का प्रयोग करना चाहिए , नहीं तो आँखों में रोग लग सकता है । यदि किसी खिलाड़ी या व्यक्ति ने उच्च तरंग लम्बाई की पराबैंगनी किरणों के नजदीक है , तो इस चिकित्सा की मात्रा अधिक हो जाती है इसलिए इस चिकित्सा को देते समय हमें सभी दिशा - निर्देशों का अनुपालन करना चाहिए ।

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