Thursday, October 22, 2015

फिजियोथेरेपी में नियमितता है जरूरी है

फिजियोथेरेपी में नियमितता है जरूरी
फिजियोथेरेपी आजकल उपचार की एक प्रमुख विधि के रूप में लोकप्रिय हो रही है। खासकर सर्द या बदलते मौसम में फिजियोथेरेपी कराने वाले लोगों को कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
फिजियोथेरेपी ऐसी चिकित्सा पद्घति है, जिसमें दवाओं, इंजेक्शन और ऑपरेशन की आवश्यकता तो नहीं पड़ती, पर नियमितता और संयम काफी मायने रखते हैं। फिर चाहे मौसम सर्द हो या मौसम में बदलाव आ रहा हो।
उपचार प्रक्रिया
फिजियोथेरेपी में मशीनों की सहायता से यानी इलेक्ट्रो थेरेपी से रोग में राहत दिलायी जाती है। मशीनों में प्रमुख तौर पर टेंस, ट्रैक्शन, आईएफटी, लेजर, अल्ट्रासोनिक आदि मशीनों का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा कुछ उपचार में वैक्स पद्घति का भी उपयोग होता है। इसकी उपचार पद्घति व्यायाम पर भी केंद्रित रहती है। डॉंक्टर रोग के लक्षणों की जांच कर उसके अनुरूप व्यायाम और उपकरणों की मदद निर्धारित करते हैं। उपचार के लिए मरीजों को कई दिनों अथवा कई सप्ताह तक डॉंक्टर की देखरेख में व्यायाम करना होता है। जो लोग दवाओं, इंजेक्शन, ऑपरेशन आदि से कतराते हैं, उनके लिए यह पद्घति काफी लाभदायक है, क्योंकि इसमें इलाज इन सबसे परे है।
किस मौसम में कारगर 
मौसम परिवर्तन के समय मांसपेशियों और जोड़ों में अकड़न बढ़ जाती है। ऐसे में उन लोगों की मुश्किल अधिक बढ़ जाती है, जिन्हें इनसे संबंधित कोई परेशानी हो। इसलिए फिजियोथेरेपी द्वारा इलाज का महत्व बढ़ जाता है। अमूमन स्पॉन्डिलाइटिस, पार्किंसन और आर्थराइटिस वालों को इस मौसम में अधिक परेशानी होती है। इस उपचार प्रक्रिया से सकारात्मक असर होता है। 
इलाज में नियमितता
इस बात में दो राय नहीं कि इसमें दवा की जरूरत नहीं होती, पर इस प्रक्रिया से इलाज करवाते समय संयम रखना और नियमित रूप से उपचार करवाना अनिवार्य होता है। फ्रोजन शोल्डर जैसे रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए यह नियमितता और भी जरूरी है। इस उपचार में फिजियोथेरेपी सेंटर जाकर उपचार करवाना पड़ता है या फिजियोथेरेपिस्ट घर पर आकर इलाज करता है।

क्या है इसकी विशेषता
वैसे तो फिजियोथेरेपी चिकित्सा कई तरह के रोगों में लाभदायक है, पर यह रोगों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चोट, फ्रैक्चर इत्यादि के उपचार में भी कारगर है। विशेष रूप से स्पोर्ट्स में और जिम आदि जाने वालों को होने वाली भीतरी चोटों के उपचार में। यहां तक कि मोच में भी फिजियोथेरेपी से काफी राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त किसी प्रकार की सर्जरी के बाद भी शरीर के अंगों की कार्यशीलता बनाए रखने के लिए फिजियोथेरेपी की सहायता ली जाती है।
(मेदांता- द मेडिसिटी की फिजियोथेरेपी प्रमुख डॉं. कल्पना अग्रवाल से श्रुति की बातचीत पर आधारित)

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